जैन पूजांजलि | Jain Pujanjali के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : जैन पूजांजलि है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rajmal Pavaiya | Rajmal Pavaiya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Rajmal Pavaiya | इस पुस्तक का कुल साइज 12 MB है | पुस्तक में कुल 378 पृष्ठ हैं |नीचे जैन पूजांजलि का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जैन पूजांजलि पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Jain Pujanjali | This Book is written by Rajmal Pavaiya | To Read and Download More Books written by Rajmal Pavaiya in Hindi, Please Click : Rajmal Pavaiya | The size of this book is 12 MB | This Book has 378 Pages | The Download link of the book "Jain Pujanjali" is given above, you can downlaod Jain Pujanjali from the above link for free | Jain Pujanjali is posted under following categories dharm |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
बज उठी सरस प्रवचन बीणा श्री वीतराग जिनवाणी की शुभ अशुभ बंध-निज ध्यान मोक्ष जय हो वाणी कल्याण की। अंतर में हुई झनझनाहट निज में निज की प्रतीति जागी रागों से मोह ममत्व भागा मिथ्या भ्रम इति भीति भागी जड़ता के धन चकचुर हुए जय जिन श्रुत वीणा पाणी की रस गध-स्पर्श रुपादित सब यह पद्गल की छाया है