तुम्हारी रोशनी में | Tumhari Roshni Mein

तुम्हारी रोशनी में | Tumhari Roshni Mein

तुम्हारी रोशनी में | Tumhari Roshni Mein के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : तुम्हारी रोशनी में है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Baal Govind Mishra | Baal Govind Mishra की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 4 MB है | पुस्तक में कुल 180 पृष्ठ हैं |नीचे तुम्हारी रोशनी में का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | तुम्हारी रोशनी में पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Tumhari Roshni Mein | This Book is written by Baal Govind Mishra | To Read and Download More Books written by Baal Govind Mishra in Hindi, Please Click : | The size of this book is 4 MB | This Book has 180 Pages | The Download link of the book "Tumhari Roshni Mein " is given above, you can downlaod Tumhari Roshni Mein from the above link for free | Tumhari Roshni Mein is posted under following categories Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 4 MB
कुल पृष्ठ : 180

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

एक पाटो ''मामू-] कि पहाड़ की अनजान ग्रोह से जाकर ने मैदान में जाती है और वृछ गाँवों को बार-बार से सोचतो हुई एक बड़ी नदी से जा मिलती हैं। क्षेसा सुरूर, किन किनकी मुई! व पथ में से बाहर निकाल अता-सौ शत-शत, कहीं शरने की तरह बहती हुई, सरोवर की तरह मे मापा और मीठा पानी। गर्मियों में पानी का रन एकदम नाद, गद्दी भाड़े में तोला हो जाता है- मन में अपनल-भरा, डाई में थोड़ा इरावना। एक अइहाऊ तो एक ऐसी भी वगह न सिर्फ घुटनो पानी''भाचे रेत के एक दिते हुए । कितनी भी गन्दगी ममश्रा को अगते न कर फ६७- भत्ता पानी।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.