जैन-समाज का ह्रास क्यों | Jain-Samaj Ka Hras Kyon के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : जैन-समाज का ह्रास क्यों है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ayodhya Prasad Goyaliya | Ayodhya Prasad Goyaliya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Ayodhya Prasad Goyaliya | इस पुस्तक का कुल साइज 1.35 MB है | पुस्तक में कुल 45 पृष्ठ हैं |नीचे जैन-समाज का ह्रास क्यों का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जैन-समाज का ह्रास क्यों पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Jain-Samaj Ka Hras Kyon | This Book is written by Ayodhya Prasad Goyaliya | To Read and Download More Books written by Ayodhya Prasad Goyaliya in Hindi, Please Click : Ayodhya Prasad Goyaliya | The size of this book is 1.35 MB | This Book has 45 Pages | The Download link of the book "Jain-Samaj Ka Hras Kyon" is given above, you can downlaod Jain-Samaj Ka Hras Kyon from the above link for free | Jain-Samaj Ka Hras Kyon is posted under following categories dharm |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
जो गायक अपनी स्वर-लहरीसे मृतकोंमें जीवन डाल देता था, वह आज स्वयं मृत-प्राय क्यों है जो सरोवर पतितों-कुष्ठियोंको पवित्र बना सकता था, आज वह दुर्गन्धित और मलीन क्यों है ? जो समाज सूर्य के समान अपनी प्रखर किरणोंके तेजसे संसारको तेजोमय कर रहा था, आज वह स्वयं तेजहीन क्यों है उसे कौनसे राहूने ग्रस लिया है और जो समाज अपनी कल्पतरु-शाखाशोंके नीचे सवको शरण देता था |