जैनेन्द्र के उपन्यासों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन | Jainendra Ke Upanyaso Ka Manovaigyanik Adhyayan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : जैनेन्द्र के उपन्यासों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Jainendra Kumar | Jainendra Kumar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Jainendra Kumar | इस पुस्तक का कुल साइज 08.23 MB है | पुस्तक में कुल 199 पृष्ठ हैं |नीचे जैनेन्द्र के उपन्यासों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जैनेन्द्र के उपन्यासों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Jainendra Ke Upanyaso Ka Manovaigyanik Adhyayan | This Book is written by Jainendra Kumar | To Read and Download More Books written by Jainendra Kumar in Hindi, Please Click : Jainendra Kumar | The size of this book is 08.23 MB | This Book has 199 Pages | The Download link of the book "Jainendra Ke Upanyaso Ka Manovaigyanik Adhyayan " is given above, you can downlaod Jainendra Ke Upanyaso Ka Manovaigyanik Adhyayan from the above link for free | Jainendra Ke Upanyaso Ka Manovaigyanik Adhyayan is posted under following categories Stories, Novels & Plays |
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पहले ही कह दिया गया है कि इस तरह की प्रथा हिन्दी क्या, भरतीय साहित्य में भी नहीं थी । अतः जैनेन्द्र इसके लिए भारतीय साहित्य के ऋण हों, यह बात नहीं कहीं जा सकती। हाँ अंग्रेजी-सहित्य में इसकी लम्बी परम्परा जरूर थी । वास्तव में अंग्रेजी उपन्यास का जन्म इसी तरह हुआ। डीफो के सारे उपन्यास इसी पद्धति में लिखे गये हैं। बैकरे ने अपने ‘हेनरी ऐसमोंड' में यहीं किया हैं । होरेस वालपोल का कैसिल ऑफ औट्राण्ट्रो' भी इसी प्रवृत्ति का उदाहरण है।