जैसा बीज वैसा फल | Jaisa Beej Vaisa Fhal

जैसा बीज वैसा फल | Jaisa Beej Vaisa Fhal

जैसा बीज वैसा फल | Jaisa Beej Vaisa Fhal के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : जैसा बीज वैसा फल है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 355.7 KB है | पुस्तक में कुल 165 पृष्ठ हैं |नीचे जैसा बीज वैसा फल का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जैसा बीज वैसा फल पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays

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पुस्तक का साइज : 355.7 KB
कुल पृष्ठ : 165

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भगवान्, धर्म, परलोक, पुनर्जन्म, कर्मफलभोग आदिपर उत्तरोत्तर विश्वास कम होता रहनेके कारण आज मानव-जीवनमें उच्छृङ्खलता, यथेच्छाचारिता, भोगपरायणता, सत्कर्मों में उपेक्षा, दुष्कर्मों में प्रीति आदि महान् दोष आ गये हैं और क्रमशः उनकी वृद्धि हो रही है। यही कारण है-जगत्में इतनी वैज्ञानिक उन्नति होनेपर भी दु:ख-क्लेश, मान-अशान्ति उत्तरोत्तर बढ़ते जा रहे हैं। इस पतनके प्रवाहको वस्तुतः रोकना तो भगवान्के ही हाथ है।

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