जनतंत्रवाद रामायण और महाभारत कालीन | Janantantrvada Ramayan Aur Mahabharat Kalin

जनतंत्रवाद रामायण और महाभारत कालीन | Janantantrvada Ramayan Aur Mahabharat Kalin

जनतंत्रवाद रामायण और महाभारत कालीन | Janantantrvada Ramayan Aur Mahabharat Kalin के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : जनतंत्रवाद रामायण और महाभारत कालीन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Shyamlal Pandey | Dr. Shyamlal Pandey की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 20.0 MB है | पुस्तक में कुल 338 पृष्ठ हैं |नीचे जनतंत्रवाद रामायण और महाभारत कालीन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जनतंत्रवाद रामायण और महाभारत कालीन पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, Knowledge

Name of the Book is : Janantantrvada Ramayan Aur Mahabharat Kalin | This Book is written by Dr. Shyamlal Pandey | To Read and Download More Books written by Dr. Shyamlal Pandey in Hindi, Please Click : | The size of this book is 20.0 MB | This Book has 338 Pages | The Download link of the book "Janantantrvada Ramayan Aur Mahabharat Kalin" is given above, you can downlaod Janantantrvada Ramayan Aur Mahabharat Kalin from the above link for free | Janantantrvada Ramayan Aur Mahabharat Kalin is posted under following categories history, Knowledge |


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पुस्तक का साइज : 20.0 MB
कुल पृष्ठ : 338

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इस पंथ के प्रथम अध्याय में राजा की उत्पत्ति के सम्बन्ध में राजा को दैवी उत्पत्ति और समाज अनुबन्धवाव इन के सिद्धान्तों के वास्तविक रूप जैसा कि रामायण और महाभारतान्तर्गत प्राप्त हो सके, दिये गये हैं। राजा की वैवी उत्पत्ति का सिद्धान्त रामायण और महाभारत दोनों पक्षों में समान रूप से पाया जाता है। परन्तु समाज अनुबन्धवाद केवल महाभारत में ही प्राप्त है। इन दोनों सिद्धान्तों की तुलना पाश्चात्य देशों के उन्हीं नामों के दोनों राजनीतिक सिद्धान्तों से की गई है ।

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