कवि शमशेर का काव्यदर्शन और कला-संधान | Kavi Shamsher Ka Kavyadarshan Aur Kala-Sandhan

कवि शमशेर का काव्यदर्शन और कला-संधान | Kavi Shamsher Ka Kavyadarshan Aur Kala-Sandhan

कवि शमशेर का काव्यदर्शन और कला-संधान | Kavi Shamsher Ka Kavyadarshan Aur Kala-Sandhan के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कवि शमशेर का काव्यदर्शन और कला-संधान है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Anil Kumar Singh | Anil Kumar Singh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 9.1 MB है | पुस्तक में कुल 164 पृष्ठ हैं |नीचे कवि शमशेर का काव्यदर्शन और कला-संधान का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कवि शमशेर का काव्यदर्शन और कला-संधान पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature

Name of the Book is : Kavi Shamsher Ka Kavyadarshan Aur Kala-Sandhan | This Book is written by Anil Kumar Singh | To Read and Download More Books written by Anil Kumar Singh in Hindi, Please Click : | The size of this book is 9.1 MB | This Book has 164 Pages | The Download link of the book "Kavi Shamsher Ka Kavyadarshan Aur Kala-Sandhan " is given above, you can downlaod Kavi Shamsher Ka Kavyadarshan Aur Kala-Sandhan from the above link for free | Kavi Shamsher Ka Kavyadarshan Aur Kala-Sandhan is posted under following categories literature |


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पुस्तक का साइज : 9.1 MB
कुल पृष्ठ : 164

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अपनी गहरी सवेदना और कलात्मकता के कारण शमशेर की कविताएं प्रारभ से ही मुझे आकर्षित करती रही है। भले ही उनका कुछ अर्थ समझ मे न आता रहा हो, फिर भी वे हमारे सवेदनातत्र को उद्वेलित करने में सफल होती रही है। यह तो बाद मे समझ में आया कि शमशेर की कविताए हमसे कुछ माग भी करती है। जिस तरह सगीत को आत्मसात् करने के लिए हमे अपनी श्रवणेन्द्रियों को प्रशिक्षित करना पड़ता है उसी तरह शमशेर की कविताए भी हमसे अपने अनुकूल प्रशिक्षण की माग करती है। एक बार शमशेर के सवेदना ससार तथा कलात्मक विन्यास को जान लेने पर उनकी कविताओं को समझने में कठिनाई नही होती।

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