कोपले फिर फूट आई | Koplen Phir Phut Aai

कोपले फिर फूट आई | Koplen Phir Phut Aai

कोपले फिर फूट आई | Koplen Phir Phut Aai के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कोपले फिर फूट आई है | इस पुस्तक के लेखक हैं : osho | osho की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.20 MB है | पुस्तक में कुल 165 पृष्ठ हैं |नीचे कोपले फिर फूट आई का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कोपले फिर फूट आई पुस्तक की श्रेणियां हैं : Spirituality -Adhyatm, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Koplen Phir Phut Aai | This Book is written by osho | To Read and Download More Books written by osho in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.20 MB | This Book has 165 Pages | The Download link of the book "Koplen Phir Phut Aai" is given above, you can downlaod Koplen Phir Phut Aai from the above link for free | Koplen Phir Phut Aai is posted under following categories Spirituality -Adhyatm, Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 1.20 MB
कुल पृष्ठ : 165

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

मैं तो वैसा ही हूं। और तुम भी वैसे ही हो। जो बदल जाता है वह हमारा असली चेहरा नहीं है। वह हमारी आत्मा नहीं है। जो नहीं बदलता, न जीवन में न मृत्यु में, वही हमारा यथार्थ है। हम लोगों से पूछते हैं, कैसे हो। नहीं पूछना चाहिए। क्योंकि हमने स्वीकार ही कर लिया पूछने में बदलाहट को, परिवर्तन को, बचपन को, जवानी को, बुढापे को, जीवन को, मौत को कुछ है तुम्हारे भीतर जिसका तुम्हें भी पता है। बचपन में भी यही था और नहीं जन्में थे तब भी यही था।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.