ललितविक्रम | Lalit Vikram

ललितविक्रम | Lalit Vikram

ललितविक्रम | Lalit Vikram के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : ललितविक्रम है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vrindavanlal Verma | Vrindavanlal Verma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 2 MB है | पुस्तक में कुल 112 पृष्ठ हैं |नीचे ललितविक्रम का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ललितविक्रम पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Lalit Vikram | This Book is written by Vrindavanlal Verma | To Read and Download More Books written by Vrindavanlal Verma in Hindi, Please Click : | The size of this book is 2 MB | This Book has 112 Pages | The Download link of the book " Lalit Vikram" is given above, you can downlaod Lalit Vikram from the above link for free | Lalit Vikram is posted under following categories Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 2 MB
कुल पृष्ठ : 112

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अयोध्या के बाहर सरयू नदी के तीर पर उर्वरा भूमि से लगे हुये एक टीले वाले बन्जर का विस्तृत क्षेत्र । अयोध्या का राजकुमार ललित विक्रम अपने उपाध्याय प्राचार्य मेघ के साथ है । मेघ अघेड अवस्था की दीर्घकाय सावला पुरुष है । सिर पर जटाजूट, कटि में इवेत सूती । परिधान, गले मे रुद्राक्ष, पैरो में पादुका, शरीर पर ऊनी उत्तरीय । उसकी दाढी काले भूरे बालो की खिचडी है । सिर के बाले अधिक श्वेत हैं । प्रकृति से जान पड़ता है कि भाबुक, हठी और क्रोधी प्रकृति का है । ललितविक्रम किशोरावस्था में है । सुन्दर है। वह पति को पेय का परिघान और श्वेत रग की द्रापी धारण किये है। पैरो मे उपानह । टीले के नीचे लक्ष्यवेध के लिये छोटी सी परिधि वाला लक्ष्य लगा हुमा है । ललितविक्रम की पीठ पर तूणीर कसा हुमा है जिसमें वाण हैं । प्रत्यक्ष की फटकार से उङ्गलियों की रक्षा करने के लिये दायें हाथ के कोचे पर अगुलित्राण पहिने है ।

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