लौटती पगडंडियाँ | Lotati Pagdandiyan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : लौटती पगडंडियाँ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Sachchidanand Heeranand Vatsyayan 'Agyey' | Sachchidanand Heeranand Vatsyayan 'Agyey' की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Sachchidanand Heeranand Vatsyayan 'Agyey' | इस पुस्तक का कुल साइज 5.9 MB है | पुस्तक में कुल 394 पृष्ठ हैं |नीचे लौटती पगडंडियाँ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | लौटती पगडंडियाँ पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Lotati Pagdandiyan | This Book is written by Sachchidanand Heeranand Vatsyayan 'Agyey' | To Read and Download More Books written by Sachchidanand Heeranand Vatsyayan 'Agyey' in Hindi, Please Click : Sachchidanand Heeranand Vatsyayan 'Agyey' | The size of this book is 5.9 MB | This Book has 394 Pages | The Download link of the book "Lotati Pagdandiyan " is given above, you can downlaod Lotati Pagdandiyan from the above link for free | Lotati Pagdandiyan is posted under following categories Knowledge, Stories, Novels & Plays |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
पुराने गुप्त-मम शावरवादी ना खुले समाज में एक 'जाने हुए' व्यक्ति में रूप में जीने का समाज से मिलने वाले सम्मान के बीच उस रामाश है और उस सम्मान के गोपनेपन का अनुभव करने का यह युग कहानियो की दूसरी सेप या युग है । इस में भी सध्या की दृष्टि से काफी पहानियाँ रहीं, इन कहानियों का स्वर भी बहुधा कोफी तीखा रहा, पर इन का आक्रोश व्यग्यमिश्रित है। प्रान्तिकारिता का पहला दौर सर्वन हास्य-रहित, मरलेस होता है, हास्य या प्रकटन वगरवता का लक्षण होता है ।