मजाज और उनकी शायरी : प्रकाश पंडित | Majaaj aur Unki Shayri : Prakash Pandit के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मजाज और उनकी शायरी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Prakash Pandit | Prakash Pandit की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Prakash Pandit | इस पुस्तक का कुल साइज 2.3 MB है | पुस्तक में कुल 102 पृष्ठ हैं |नीचे मजाज और उनकी शायरी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मजाज और उनकी शायरी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography, Poetry
Name of the Book is : Majaaj aur Unki Shayri | This Book is written by Prakash Pandit | To Read and Download More Books written by Prakash Pandit in Hindi, Please Click : Prakash Pandit | The size of this book is 2.3 MB | This Book has 102 Pages | The Download link of the book "Majaaj aur Unki Shayri" is given above, you can downlaod Majaaj aur Unki Shayri from the above link for free | Majaaj aur Unki Shayri is posted under following categories Biography, Poetry |
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मस्जिदों में मौलवी खुत्बे सुनाते ही रहे, मन्दिरों में विरह्मन अश्लोक गाते ही रहे । आदमी मिन्नतकशे-अरबाबे-इफ ही रहा, दर्द-इन्सानी मगर महरूमे-दर्मा ही रहा। इक न इक दर पर जवीने-शक घिसती ही रही, आदमियत जुल्म की चक्की मै पिसती ही रही। रबरी जारी रही, पैगम्बरी जारी रही, दीन के पर्दे मे जंगे-जरगरी जारी रही। अहले-वातिन इल्म से सीनो को गर्माते रहे, जिल के तारीक साये हाथ फैलाते रहे। ये मुसलसल फते, ये यूरिनँ, ये कत्ले-ग्राम, आदमी कब तक रहे औहाने-वातिल का गुलाम । जहने-इन्सानी ने अब औहाम के जुल्मात में । ज़िन्दगी की सख्त तुफानी अधेरी रात में। कुछ नहीं तो कम-से-कम ख्वाबे-सहर देखा तो है। जिस तरफ देखा न था अब तक उधर देखा तो है