मन और उसका निग्रह | Man Aur Uska Nigrah के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मन और उसका निग्रह है | इस पुस्तक के लेखक हैं : swami-shivanand-saraswati | swami-shivanand-saraswati की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : swami-shivanand-saraswati | इस पुस्तक का कुल साइज 8.9 MB है | पुस्तक में कुल 382 पृष्ठ हैं |नीचे मन और उसका निग्रह का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मन और उसका निग्रह पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational, Knowledge
Name of the Book is : Man Aur Uska Nigrah | This Book is written by swami-shivanand-saraswati | To Read and Download More Books written by swami-shivanand-saraswati in Hindi, Please Click : swami-shivanand-saraswati | The size of this book is 8.9 MB | This Book has 382 Pages | The Download link of the book "Man Aur Uska Nigrah" is given above, you can downlaod Man Aur Uska Nigrah from the above link for free | Man Aur Uska Nigrah is posted under following categories inspirational, Knowledge |
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समय भी मनका रूप है। यह काल शक्ति है । यह भी अन्य पदार्थों की भांति भ्रम मूलक है।अध; आपका मन गन्भीरतासे एकाग्र होता है तो दो घन्टेका समय पांच मिनिटके समान प्रतीत होता है। यदि मन चञ्चल और अस्थिर हो तो आधा घन्टा भी दो घन्टेके समान हो जाता है। यह प्रत्येक मनुष्यकै अनुभवकी बात है। स्वप्नमें भी बहुतसी घटनाये जो पचास वर्षों में पूरी होने चालो हैं दस मिनिट में हो जाती हैं। मनकी लीलाके द्वारा एक कल्प क्षणमात्र प्रतीत होता है और क्षणमात्र समय कल्पसम बीतता है।