मानसिक संतुलन : श्रीराम शर्मा हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड कीजिये | Mansik Santulan : ShriRam Sharma Hindi Book Free PDF Download

मानसिक संतुलन : श्रीराम शर्मा | Mansik Santulan : ShriRam Sharma

मानसिक संतुलन : श्रीराम शर्मा  | Mansik Santulan : ShriRam Sharma

मानसिक संतुलन : श्रीराम शर्मा | Mansik Santulan : ShriRam Sharma के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : मानसिक संतुलन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Shriram Sharma | Pt. Shriram Sharma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.9 MB है | पुस्तक में कुल 32 पृष्ठ हैं |नीचे मानसिक संतुलन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मानसिक संतुलन पुस्तक की श्रेणियां हैं : health, manovigyan

Name of the Book is : Mansik Santulan | This Book is written by Pt. Shriram Sharma | To Read and Download More Books written by Pt. Shriram Sharma in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.9 MB | This Book has 32 Pages | The Download link of the book " Mansik Santulan" is given above, you can downlaod Mansik Santulan from the above link for free | Mansik Santulan is posted under following categories health, manovigyan |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 1.9 MB
कुल पृष्ठ : 32

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बिल्कुल भी न मिले तो खून खराब हो जायेगा । विकुल कपड़े न हो तो सर्दी में निमोनियां हो जाने का और गर्मी में लू लग जाने का खतरा है, पर जौ कपड़ों के परतों से वैतरह लिपटे रहते हैं उनका शरीर आम की तरह पीला पड़ जाता है । विकुल न पढ़ने से मस्तिष्क का विकास नहीं होता पर दिन रात पढ़ने की प्रेम में व्यस्त रहने से दिमाग खराब हो जाता है औखें कमजोर पड़ जाती है।
घोर, कट्टर, असहिष्णु, सिद्धौवादी बनने से काम नहीं चलता । दूसरों की भावनाओं का भी आदर करके सहिष्णुता का परिचय देना पड़ता है। अन्य भक्त बनना या अविश्वासी होना दोनों ही बातें कुरी है। विवेक पूर्वक हंस की भांति नीर शीर का अन्वेषण करते हुए शाय और गाहा को प्रथक करना ही बुद्धि मानी है । देश काल और पात्र के भेद से नीति हार और क्रिया पति में भेद करना पड़ता है । यदि न करें तो हम अतिवादी कहे जाने । अतिवादी-दशं तो उपस्ति कर सकते हैं, पर नैतृत्व नहीं कर सकते।
आदर्शवाद हमारा लक्ष्य होना चाहिए, हमारी प्रगति उसी और होनी चाहिए, पर सावधान ! कहीं अपरिपक्व आस्था मैं ऐसी बड़ी छलांग न लगाई जाय, जिसके परिणाम स्वरूप टांग टूटने की यातना सहनी पड़े। कड़े कार्यों को पूरा करने के लिए मजबूत व्यक्तित्व की आवश्यकता है । मजबूत व्यक्तित्व पैर्यवानों का होता है। उतावली करने वाले छछोरे या रेंगने वाले आली नहीं, महत्वपूर्ण सफलतायें वे प्राप्त करते हैं जो
वान होते हैं, जो विवेक पूर्वक मजबूत कदम उठाते हैं और जो अतिवाद के आदेश से बचकर मध्यम मार्ग पर चलने की नीति को अपनाते हैं । नियमितता, दृढ़ता, एवं स्थिरता के साथ समगति से कार्य करते रहने वाले व्यक्तियों के द्वारा ही उपयोगी संतुलित कार्यों का सम्पादन होता है ।

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