मीठे का शौक़ीन मुचकुंद : माधव गाडगिल हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Meethe Ka Shaukeen Muchkund : Madhav Gadgil Hindi Book Free PDF Download

मीठे का शौक़ीन मुचकुंद : माधव गाडगिल | Meethe Ka Shaukeen Muchkund : Madhav Gadgil

मीठे का शौक़ीन मुचकुंद : माधव गाडगिल | Meethe Ka Shaukeen Muchkund : Madhav Gadgil

मीठे का शौक़ीन मुचकुंद : माधव गाडगिल | Meethe Ka Shaukeen Muchkund : Madhav Gadgil के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : मीठे का शौक़ीन मुचकुंद है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 7.1 MB है | पुस्तक में कुल 36 पृष्ठ हैं |नीचे मीठे का शौक़ीन मुचकुंद का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मीठे का शौक़ीन मुचकुंद पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, inspirational, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Meethe Ka Shaukeen Muchkund | This Book is written by Arvind Gupta | To Read and Download More Books written by Arvind Gupta in Hindi, Please Click : | The size of this book is 7.1 MB | This Book has 36 Pages | The Download link of the book "Meethe Ka Shaukeen Muchkund" is given above, you can downlaod Meethe Ka Shaukeen Muchkund from the above link for free | Meethe Ka Shaukeen Muchkund is posted under following categories children, inspirational, Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : , ,
पुस्तक का साइज : 7.1 MB
कुल पृष्ठ : 36

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

यह कहानी है मुचकुंद की जो कि एक बड़ा ही होनहार जवान भूत है और पुणे के वेताल बाबा भूत परिवार से है। एक मुंज्या भूत होने के कारण वह दल के बाकी भूतों से कहीं अधिक चतुर है और स्वभाव से मददगार भी। वह पुणे विश्वविद्यालय परिसर में एक विशाल पीपल के पेड़ पर रहता है। मुचकुंद अक्सर विश्वविद्यालय की कक्षाओं में एक छात्र के रूप में जा बैठता है। बीच-बीच में वह किसी गौरैया का रूप धर कर प्रयोगशालाओं की खिड़कियों पर बैठ कर भीतर हो। रहे प्रयोगों को देखता है। वह सदा ही ज्ञान की खोज में जुटा रहता है।
एक दिन, एक कक्षा में जब प्रोफेसर सुदूर देशों की बातें बतला रहे थे तो मुचकुंद का मन हुआ कि काश वह भी कहीं छुट्टी मनाने जा पाता। इसलिए जब उसे जाम्बवन चाचा का पत्र मिला तो वह बड़ा खुश हुआ।

Share this page:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *