महके सारी गली गली : निरंकार देव सेवक हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Mehke Sari Gali Gali : Nirankar Dev Sevak Hindi Book free PDF Download

महके सारी गली गली :निरंकार देव सेवक | Mehke Sari Gali Gali : Nirankar Dev Sevak

महके सारी गली गली :निरंकार देव सेवक  | Mehke Sari Gali Gali : Nirankar Dev Sevak

महके सारी गली गली :निरंकार देव सेवक | Mehke Sari Gali Gali : Nirankar Dev Sevak के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : महके सारी गली गली है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Nirankar Dev | Nirankar Dev की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3.9 MB है | पुस्तक में कुल 63 पृष्ठ हैं |नीचे महके सारी गली गली का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | महके सारी गली गली पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, Poetry

Name of the Book is : Mehke Sari Gali Gali | This Book is written by Nirankar Dev | To Read and Download More Books written by Nirankar Dev in Hindi, Please Click : | The size of this book is 3.9 MB | This Book has 63 Pages | The Download link of the book "Mehke Sari Gali Gali" is given above, you can downlaod Mehke Sari Gali Gali from the above link for free | Mehke Sari Gali Gali is posted under following categories children, Poetry |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 3.9 MB
कुल पृष्ठ : 63

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पानी और धूप
अभी अभी थी धूप, बरसने | लगा कहां से यह पानी किसने फोडू घड़े बादल के
की है इतनी शैतानी ।। सूरज ने क्यों बंद कर लिया
| अपने घर का दरवाजा उसकी मां ने भी क्या उसको
बुला लिया कहकर आजा। जोर जोर से गरज रहे हैं।
बादल हैं किसके काका किसको डांट रहे हैं किसने
कहना नहीं सुनी मां का। बिजली के आंगन में अम्मां
| चलती है कितनी तलवार कैसी चमक रही है फिर भी
क्यों खाली जाते हैं वार। क्या अब तक तलवार चलाना
मां वे सीख नहीं पाये इसीलिए क्या आज सीखने
आसमान पर हैं आये।
एक बार भी मां यदि मुझको
बिजली के घर जाने दो उसके बच्चों को तलवार
चलाना सिखला आने दो। खुश होकर तब बिजली देगी।
मुझे चमकती सी तलवार तब मां कोई कर न सकेगा। | अपने ऊपर अत्याचार । पुलिसमैन अपने काका को ।
फिर न पकड़ने आयेंगे देखेंगे तलवार दूर से ही
वे सब डर जायेंगे। अगर चाहती हो मां काका
जायें अब न जेलखाना तो फिर बिजली के घर मुझको
तुम जल्दी से पहुंचाना। काका जेल न जायेंगे अब
तुझे मंगा देंगी तलवार पर बिजली के घर जाने का अब मत करना कभी विचार ।
-सुभद्रा कुमारी चौहान

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