मिट्टी : लौरी बेकर | Mitti : Laurie Baker के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मिट्टी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Arvind Gupta | इस पुस्तक का कुल साइज 1.2 MB है | पुस्तक में कुल 56 पृष्ठ हैं |नीचे मिट्टी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मिट्टी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge
Name of the Book is : Mitti | This Book is written by Arvind Gupta | To Read and Download More Books written by Arvind Gupta in Hindi, Please Click : Arvind Gupta | The size of this book is 1.2 MB | This Book has 56 Pages | The Download link of the book "Mitti" is given above, you can downlaod Mitti from the above link for free | Mitti is posted under following categories Knowledge |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
सैकड़ों सालों से मिट्टी के घर बन रहे हैं। यह लम्बा अरसा मिट्टी के लगातार इस्तेमाल के पक्ष में एक ठोस सबूत है, जबकि सीमेंट-कंक्रीट सी वर्ष पुराना भी नहीं है। मेरे विचार में मिट्टी को हम सफलतापूर्वक अच्छे-से-अच्छे घर बनाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। इक्कीसवीं शताब्दी में कदम रखने से पहले अगर हम चाहते हैं कि हरेक देशवासी के सर पर छत हो, तो हम इस संकल्प को मिट्टी के मकान बनाकर ही पूरा कर पाएंगे। इस पुस्तक में इन्हीं कुछ विचारों का उल्लेख है।
इस छोटी सी पुस्तक में मैंने मिट्टी का मात्र परिचय ही दिया है। मैंने पुस्तक की भाषा और चित्रों को एकदम सरल बनाने का प्रयास किया हैं। वैसे मिट्टी के गुणों को समझने का एक वैज्ञानिक नजरिया भी हो सकता है। पर मेरी राय में अधिक महत्त्व इस बात का है कि हम मिट्टी का इस्तेमाल करे
और उसका मजा लें। हम यह बात तो एकदम भूल जाएं कि मिट्टी के पर केवल गांव के गरीबों के लिए हैं। दुर्भाग्य से मैंने कई चित्रों में मिट्टी के मकानों को गांव के परिवेश में दर्शाया है - जैसे कि घास-फूस की बनी छत, आदि। पर असलियत यह है कि अगर हम ठीक तरह से समझ बूझ कर इस्तेमाल करें तो नतीजे एकदम अव्वल आएंगे। मैं व्यक्तिगत तौर पर यही चाहता हूँ कि जो भी निर्माण का सामान में इस्तेमाल करू वह खुद ही अपनी खासियत को जाहिर करे। मिसाल के तौर पर, एक ईंटों के मकान को, मेरी राय में, एक ईंटों का मकान ही दिखना चाहिए, और उसे एक पत्थर के मकान से अलग दिखना चाहिए। आजकल आमतौर पर सभी लोग दीवारों पर पलस्तर कराते हैं या रंग पोतते हैं। दीवारों को ढंकने के लिए टाइल्स या कुछ
और आवरण लगाते हैं, इसलिए यह एकदम मुमकिन है कि यह लोग मिट्टी के साथ भी ऐसा ही बर्ताव करें। उदाहरण के लिए, आस्ट्रेलिया में बहुत सारे मकान बुनियादी रूप में केवल मिट्टी के बने होते हैं। परंतु उन पर चढ़े आवरण से उनके असली रूप को पहचान पाना कठिन होता है। मेरी बस यही आशा है कि हरेक इंसान चाहे वह गरीब हो या अमीर, इस बात को पहचाने और स्वीकार करे कि मकान बनाने के लिए मिट्टी एक अच्छा, मजबूत और टिकाऊ माध्यम है। मिट्टी से बनी इमारतें अगर हजारों साल नहीं तो कम-से-कम सैकड़ों साल तो टिकी ही हैं।