मोमिन और उनकी शायरी | Momin Aur Unaki Shayari के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मोमिन और उनकी शायरी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dharmpal | Dharmpal की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Dharmpal | इस पुस्तक का कुल साइज 4 MB है | पुस्तक में कुल 112 पृष्ठ हैं |नीचे मोमिन और उनकी शायरी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मोमिन और उनकी शायरी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Momin Aur Unaki Shayari | This Book is written by Dharmpal | To Read and Download More Books written by Dharmpal in Hindi, Please Click : Dharmpal | The size of this book is 4 MB | This Book has 112 Pages | The Download link of the book "Momin Aur Unaki Shayari" is given above, you can downlaod Momin Aur Unaki Shayari from the above link for free | Momin Aur Unaki Shayari is posted under following categories Poetry |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
अन्दर बहुत बड़ा दालान और उसके चारों ओर इमारत थी । दालानों में चाँदनी का फ़र्श था । अन्दर के दालान के मध्य में कालीन बिछा रहता और उस पर गाव-तकिया लगाए मोमिन बैठे रहते । सामने हकीम मुखानन्द रक़म और मिर्जा रहीम-उद्दीन हया पतित जन्हु बैठते थे । ऐसा लगता था जैसे कोई दरबार लगा हो कि किसी को अख उठाकर देखने और अनावश्यक रूप से बोलने का अधिकार नहीं ।