मोटरखाना | Motarkhana

मोटरखाना | Motarkhana

मोटरखाना | Motarkhana के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : मोटरखाना है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Karuna Shankar Dubey | Dr. Karuna Shankar Dubey की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 143 KB है | पुस्तक में कुल 29 पृष्ठ हैं |नीचे मोटरखाना का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मोटरखाना पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Motarkhana | This Book is written by Dr. Karuna Shankar Dubey | To Read and Download More Books written by Dr. Karuna Shankar Dubey in Hindi, Please Click : | The size of this book is 143 KB | This Book has 29 Pages | The Download link of the book "Motarkhana" is given above, you can downlaod Motarkhana from the above link for free | Motarkhana is posted under following categories Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 143 KB
कुल पृष्ठ : 29

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राम सेवक को लगा, जैसे कोई अपना ही उसका मनुहार कर रहा है। सभी को सहारा चाहिये। उसी के लिए तो परिवार बसाता है, मित्र बनाता है। प्रकृति सर्वदा सहज ही रहती है। मनुष्य अपने स्वार्थ में उसमें विष घोलता रहता है। उसी की ज्वाला में जलता भुनता रहता है। कुटिल बुद्धि उसे समझौता करने से रोकती है, पर जब हृदय के किसी कोने में शीतलता की आहट होती है तो सब शान्त हो जाता है, क्योंकि, अन्तर में तो हमेशा उसी की ही प्रतीक्षा रहती है।

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