नागयज्ञ | Nagyagya

नागयज्ञ | Nagyagya

नागयज्ञ | Nagyagya के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : नागयज्ञ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Darbarilal Satyabhakt | Pt. Darbarilal Satyabhakt की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 8 MB है | पुस्तक में कुल 92 पृष्ठ हैं |नीचे नागयज्ञ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | नागयज्ञ पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature

Name of the Book is : Nagyagya | This Book is written by Pt. Darbarilal Satyabhakt | To Read and Download More Books written by Pt. Darbarilal Satyabhakt in Hindi, Please Click : | The size of this book is 8 MB | This Book has 92 Pages | The Download link of the book "Nagyagya" is given above, you can downlaod Nagyagya from the above link for free | Nagyagya is posted under following categories literature |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 8 MB
कुल पृष्ठ : 92

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

नागयज्ञ एक ऐतिहासिक घटना है जिसे अर्जुनके प्रपौत्र राजा जनमेजयने किया था । महाभारत में जब मैंने यह घटना पढ़ी तब मेरे मनमें सहसा विचार आया कि इतिहास अपनेको दुहरा रहा है। आज हिन्दू-मुसलमानोंकी जैसी समः पा है वैसी किसी जमाने में आर्य और नागोंके बीच में भी थी और आर्य और नाग मिलकर किसी दिन एक हो सकेंगे इसकी आशा उस समय दुराशा-सी थी । पर देखते हैं कि आज न वे आर्य बचने पाये न वे नाग ।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.