पाँच प्राण पाँच देव : पं० श्रीराम शर्मा आचार्य | Panch Praan Panch Dev : Pt. Shreeram Sharma Acharya के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : पाँच प्राण पाँच देव है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 10.6 MB है | पुस्तक में कुल 114 पृष्ठ हैं |नीचे पाँच प्राण पाँच देव का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पाँच प्राण पाँच देव पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, health, Knowledge, science
Name of the Book is : Panch Praan Panch Dev | This Book is written by | To Read and Download More Books written by in Hindi, Please Click : | The size of this book is 10.6 MB | This Book has 114 Pages | The Download link of the book "Panch Praan Panch Dev " is given above, you can downlaod Panch Praan Panch Dev from the above link for free | Panch Praan Panch Dev is posted under following categories children, health, Knowledge, science |
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प्रथम महायुद्ध के समय 'डॉन और बॉब' नामक दो अमेरिकी सैनिक युद्ध के एक मोर्चे पर एक साथ ही घायल हो गये। वे दोनों गहरे मित्र भी थे। डॉन' तो तुरंत मर गया किंतु बॉब' उपचार से ठीक हो गया। पर स्वस्थ होने पर बॉब' के स्वभाव में भारी परिवर्तन देखा गया। वह अपने मित्र डॉन' जैसा व्यवहार करने लगा। स्वयं को डॉन कहता। युद्ध समाप्त होने पर वह घर के लिए रवाना हुआ किंतु अपने घर में जाकर, डॉन' के घर जा पहुँचा। वहीं डॉन के माता-पिता से मिलकर उतना ही प्रसन्न हुआ जैसा 'डॉन' होता था। आचरण और व्यवहार में 'डॉन' से पूर्ण समानता होने पर भी बोंब' का शरीर तो पूर्ववत् ही था। डॉन' के माता-पिता ने बॉब' को अपना | पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इस पर आय पी डॉन' की विधि दुख हुआ। उसने डॉन के माता-पिता को अतीत से संबंधित ऐसी-ऐसी प्रामाणिक घटनाएँ बतार्थी, जो उन्हीं से संबंधित थीं। उस पर उसको विश्वास हो गया कि रूप की भिन्नता होते हुए भी उसके
सारे क्रिया-कलाप 'डॉन' जैसे हैं तथा डॉन की आत्मा बब' के शरीर | में प्रविष्ट हो गई है। यह घटना विज्ञान के लिए एक चुनौती जैसी है।
स्पेन में भी एक आश्चर्यजनक घटना ऐसी ही सामने आयी। | दो लड़कियों एक बस से जा रही थीं। इनमें एक का नाम हाला
तथा दूसरी का 'मितगोल' था। बस रास्ते में ही दुर्घटनाग्रस्त हो | गई। मिर्तगल' दुर्घटना में पिसकर मर गई। हाला' को चोट तो
नहीं लगी किंतु भय के कारण बेहोश हो गई। कुछ समय बाद उसे होश आया। दुर्घटना की सूचना दोनों लड़कियों के अभिभावकों को मिली। अपनी बच्चियों को देखने दोनों दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। हाला’ के पिता उसकी ओर बढे तथा उसका नाम लेकर पुकारा। पर आश्चर्य वह बोल पड़ी मैं हाला नहीं मितगोल हैं।" यह कहकर