परापूजा : स्वामी शंकराचार्य | Para Pooja : Swami Shankaracharya के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : परापूजा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Swami Shankaracharya | Swami Shankaracharya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Swami Shankaracharya | इस पुस्तक का कुल साइज 1.2 MB है | पुस्तक में कुल 39 पृष्ठ हैं |नीचे परापूजा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | परापूजा पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu
Name of the Book is : Para Pooja | This Book is written by Swami Shankaracharya | To Read and Download More Books written by Swami Shankaracharya in Hindi, Please Click : Swami Shankaracharya | The size of this book is 1.2 MB | This Book has 39 Pages | The Download link of the book "Para Pooja" is given above, you can downlaod Para Pooja from the above link for free | Para Pooja is posted under following categories dharm, hindu |
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को इसप्रकार दिखलाया है । सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रझ ॥ सत्र से महान् ईश्वर सत्यरूप है, ज्ञानस्वरूप है, अनन्तस्वरूप है। एकोदेवः सर्वभूतेपगढः ॥ वह परमात्मा एक हैं, और संपूर्ण भूतों में छिपा है। सर्वव्यापी है, साक्षी है, चेतन हैं, और निर्गुण है ॥ दिव्योह्यमूर्तः पुरुपः सवांद्याभ्यन्तरोह्यजः ॥ वह् परमेश्वर दिव्य है, अर्थात् अलौकिक है, और मूर्सि से रहित, और सर्वमें पूर्ण है, और सव के वाहर और भीतर स्थित है, अज है, याने जन्म से रहित है, इस प्रकार अनेक श्रुतिवाक्य तिस परमात्मा के स्वरूप को निराकार
और मूर्ति से रहित बताते हैं, तब फिर ऐसे परमेश्वर की लौकिक पूजा कैसे वनसक्ली है श्रीशंकरस्वामी कहते हैं ॥ १ ॥
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