परम शन्ति का मार्ग : जयदयाल गोयन्दका | Param Shanti Ka Marg : Jaydayal Goyandaka के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : परम शन्ति का मार्ग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : जयदयाल गोयन्दका | जयदयाल गोयन्दका की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : जयदयाल गोयन्दका | इस पुस्तक का कुल साइज 11.3 MB है | पुस्तक में कुल 425 पृष्ठ हैं |नीचे परम शन्ति का मार्ग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | परम शन्ति का मार्ग पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational, Knowledge
Name of the Book is : Param Shanti Ka Marg | This Book is written by जयदयाल गोयन्दका | To Read and Download More Books written by जयदयाल गोयन्दका in Hindi, Please Click : जयदयाल गोयन्दका | The size of this book is 11.3 MB | This Book has 425 Pages | The Download link of the book "Param Shanti Ka Marg" is given above, you can downlaod Param Shanti Ka Marg from the above link for free | Param Shanti Ka Marg is posted under following categories inspirational, Knowledge |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
| "जो मेरे परायण रहनेवाले भक्तजन सम्पूर्ण कर्माको मुझमें
अर्पण करके मुझ सगुणरूप परमेश्वरको ही अनन्य भक्तियोगसे निरन्तर चिन्तन करते हुए भजते है, हे अर्जुन ! उन मुझमें चित्त लगानेवाले प्रेमी भक्तोंका तो शीघ्र ही मृत्युरूप संसार-समुद्रसे उद्धार
करनेवाला मैं होता हैं अर्थात् मैं उनका उद्धार कर देता हैं । । उदाहरणके लिये ध्रुव, प्रह्लाद और उद्धव आदि भक्त भगवानकी भक्तिद्वारा शीघ्र ही भगवानको प्राप्त हो गये।
ये सब भक्त तो पहलेसे ही श्रेष्ठ थे, किंतु यदि कोई वडा भारी पापी हो तो उसका भी भकिके द्वारा शीघ्र ही उद्धार हो सकता
है। उदाहरणके लिये अजामिल, विल्वमङ्गल आदि भक्त पहले पापी | थे, किंतु भगवानकी भकिसे उनका इशघ्र ही उद्धार हो गया। | अतः गुण, जाति और आचरण आदिसे कोई कैसा भी नीच क्यों | न हो, भकिसे उसका भी शीघ्र ही जुटार हो जाता है। भगवान्
गीतामें कहते हैं
VERY GOD