प्रेमचंद की श्रेष्ठ हिंदी कहानियों का संकलन | Premchand Ki Shresth Hindi Kahaniyon Ka Sankalan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : प्रेमचंद की श्रेष्ठ हिंदी कहानियों का संकलन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Munshi Premchand | Munshi Premchand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Munshi Premchand | इस पुस्तक का कुल साइज 10 MB है | पुस्तक में कुल 1170 पृष्ठ हैं |नीचे प्रेमचंद की श्रेष्ठ हिंदी कहानियों का संकलन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | प्रेमचंद की श्रेष्ठ हिंदी कहानियों का संकलन पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Premchand Ki Shresth Hindi Kahaniyon Ka Sankalan | This Book is written by Munshi Premchand | To Read and Download More Books written by Munshi Premchand in Hindi, Please Click : Munshi Premchand | The size of this book is 10 MB | This Book has 1170 Pages | The Download link of the book "Premchand Ki Shresth Hindi Kahaniyon Ka Sankalan " is given above, you can downlaod Premchand Ki Shresth Hindi Kahaniyon Ka Sankalan from the above link for free | Premchand Ki Shresth Hindi Kahaniyon Ka Sankalan is posted under following categories Stories, Novels & Plays |
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इस घटना को हुए कई महीने बीत गए। अलगू जब अपने बैल के दाम मॉगते तब साहू और सहुआइन, दोनों ही झल्लाये हुए कुत्ते की तरह चढ़ बैठते और अंड-बंड बकने लगते वाह यहाँ तो सारे जन्म की कमाई लुट गई, सत्यानाश हो गया, इन्हें दामों की पड़ी है। मुर्दा बैल दिया था, उस पर दाम मॉगने चले हैं आँखों में धूल झोंक दी, सत्यानाशी बैल गले बाँध दिया, हमें निरा पोंगा ही समझ लिया है हम भी बनिये के बच्चे है, ऐसे बुद्ध कहीं और होंगे।