पुरंदर पुरी | Purandar Puri

पुरंदर पुरी | Purandar Puri

पुरंदर पुरी | Purandar Puri के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : पुरंदर पुरी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Vidyabhushan | Shri Vidyabhushan की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 7.3 MB है | पुस्तक में कुल 96 पृष्ठ हैं |नीचे पुरंदर पुरी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पुरंदर पुरी पुस्तक की श्रेणियां हैं : history

Name of the Book is : Purandar Puri | This Book is written by Shri Vidyabhushan | To Read and Download More Books written by Shri Vidyabhushan in Hindi, Please Click : | The size of this book is 7.3 MB | This Book has 96 Pages | The Download link of the book "Purandar Puri" is given above, you can downlaod Purandar Puri from the above link for free | Purandar Puri is posted under following categories history |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 7.3 MB
कुल पृष्ठ : 96

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यही इन्द्रप्रस्थ है क्या पथिक बताओ वेग यही पांडु-नगरी क्या देखने को आये हाय हस्तिनापुरी में जय-मंगल हैं झूमते न, कोसों तक फैला यह टूटा फूटा खंडहर विषम विषाद और नीरव नैराश्य छाया भीषण भयंकर सा होते हैं रोमांच देख। इस सुनसान मे न दीखता है कोई जन, शीघ्रता से बढ़ती बखेरती तिमिर घन रजनी यह आती है बढ़ाने विकरालता हू हू हो हो चारो ओर करते शृगाल और चीं ची चमगादरों की सन्नाटे को चीरती है। वैभव पुराना सब बिखरा पड़ा है यहाँ, धूल मे मिले हैं हन्त सब धन और धाम । खाण्डव को खा गया है |

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