राजयोग अर्थात मानसिक विकास | Rajyog Arthat Mansik Vikas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : राजयोग अर्थात मानसिक विकास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Prasiddh Narayan Singh | Prasiddh Narayan Singh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Prasiddh Narayan Singh | इस पुस्तक का कुल साइज 220.43 MB है | पुस्तक में कुल 307 पृष्ठ हैं |नीचे राजयोग अर्थात मानसिक विकास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | राजयोग अर्थात मानसिक विकास पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational
Name of the Book is : Rajyog Arthat Mansik Vikas | This Book is written by Prasiddh Narayan Singh | To Read and Download More Books written by Prasiddh Narayan Singh in Hindi, Please Click : Prasiddh Narayan Singh | The size of this book is 220.43 MB | This Book has 307 Pages | The Download link of the book "Rajyog Arthat Mansik Vikas" is given above, you can downlaod Rajyog Arthat Mansik Vikas from the above link for free | Rajyog Arthat Mansik Vikas is posted under following categories inspirational |
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सत्ता है जिसका जीवन इस पार्थिव देह पर नहीं अवलम्बित है वह जीवन जो शरीर के नाश हो जाने पर भी बना रहेगा वास्तव में असली जीवन है। दूसरा दर्जा जिसको ‘अहमस्मि' की बोध कहते हैं वह बोध है जिसमें अपनी सत्ता विश्व सत्ता से मिल कर एक हो जाती है और जिसमें अपना सम्बन्ध और लगाव सारे प्रकट और अप्रकट जीवन से हो जाता है। बोध के ये दोनों दर्जे समय पर उन सब लोगों को मिलते हैं जो पथ की तलाश करते हैं। किसी २ को तो यह एकबएक मिल जाता है अन्यों को क्रमशः उदय होता है। बहुतों को तो राजयोग के अभ्यासों और क्रियाओं की सहायता से प्राप्त होता है।