रोहतासमठ -दुर्गा प्रसाद खत्री हिंदी पुस्तक पीडीऍफ़ में डाउनलोड करें | rohatasmath-durga prsad khatri hindi book pdf download के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : रोहतासमठ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Durgaprasad Khatri | Durgaprasad Khatri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Durgaprasad Khatri | इस पुस्तक का कुल साइज 20.61 MB है | पुस्तक में कुल 338 पृष्ठ हैं |नीचे रोहतासमठ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | रोहतासमठ पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays, Uncategorized
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न पहिला भाग हमारे दोनों नौजवानों ने एक दूसरे की तरफ देखा । गोपालसिट्ट ने धीरे से पूछा सीतर चलना चाहिए? कांप्रेक्नर ने जवाब दिया पया हुर्ज है मगर इनकी हिचकिचाहट को उस सुन्दरी से दुर किया जो वंगल की सीढ़ी से उवरवी हुई इसी समय वहां था पहुँची थी भौंर उस साधू से पूछ रही थी बाबूजी आप था गए ? ओर सुझे पता ही नही । सगर हैं यह क्या ? यह खुन आपके बदन से वयों निकल रहा है ! साधू ते उठते हुए कहा यह कुछ नही हैं बेठी या जो है वह धोखा हैं ! तु इसकी चिन्ता न कर और उस खूठी पर से कम्बल उत्तार कर यहां बिछा दे देख मेरे व मेहमान था पहुँचे जिनकी राहु में देख रहा था । उस सुन्दरी ने यह सुनते ही घूम कर पीछे की तरफ देखा परन्तु हमारे नौजवानों की गहरी निगाह अपने ऊपर जसी पा सकुचा के गर्दन घुसा ली गौर तब एक तरफ को हुठ गई । साधू ने इसी समय पन इन लोगों की तरफ देखा और कहा बाओ शजकुसार आओ कामेश्वर रुके क्यो से 9२ १ घोडों को दर्नाजि के पास ही एक पेड के साथ बांध कुअर गोपाल सिंह और कामेश्वर भीतर घुसे । साधू दो चार कदम श्रगवानी के लिए इनकी तरफ वढ़ आया और तब उन्होंने देखा कि उसके कपड़ों पर जगह जगह खून के छोटे पढें हुए है मगर इस पर गौर करने का उन्हे समय न मिला क्योंकि वह साधू पुन बोला आओ इस कस्बल पर बेठो शौर उन बातों को गौर से युनो जिन्हें तुमसे कहने के लिए ही मैं यहां नेठा हूं 1 कुछ कुछ हिचकते हुए दोनों दोश्त बीच का. फासला तय कर उस दालाव मे पहुँचे और उस कम्बल पर बठ गए जिसे सुन्दरो ने इनके लिए बिछा दिया था । दूर से जिसे भौरत समझा था पास से देखने पर हमारे नौजवानों ने उसे एक कम उम्र लड़को पाया । सरसरी निगाह देखने से उसकी अवस्था मुश्किल से प्द्रह सोलह बरस की मालूम होती
Rohtas math ka dusra khand bhi uplabdh karvane ki kripa kre.
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