सफ़दर हाशमी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व | Safdar Hashmi Ka Vyaktitva Aur Krititva के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : सफ़दर हाशमी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Arvind Gupta | इस पुस्तक का कुल साइज 4.6 MB है | पुस्तक में कुल 85 पृष्ठ हैं |नीचे सफ़दर हाशमी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सफ़दर हाशमी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography, inspirational
Name of the Book is : Safdar Hashmi Ka Vyaktitva Aur Krititva | This Book is written by Arvind Gupta | To Read and Download More Books written by Arvind Gupta in Hindi, Please Click : Arvind Gupta | The size of this book is 4.6 MB | This Book has 85 Pages | The Download link of the book "Safdar Hashmi Ka Vyaktitva Aur Krititva" is given above, you can downlaod Safdar Hashmi Ka Vyaktitva Aur Krititva from the above link for free | Safdar Hashmi Ka Vyaktitva Aur Krititva is posted under following categories Biography, inspirational |
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सफ़दर : ज़िदगी और मौत के अर्थ
चोटें जो उसने सही थीं, वह सारी की सारी सिर और गर्दन पर थीं, जो लाठियों और शायद लोहे की छड़ों से लगाई गई थीं। हमलावर गिरोह में कत्ल करने की नीयत से उस पर हमला किया और बाहिर उन्होंने अपना काम बड़े इत्मीनान और कामयाबी से अंजाम दिया, और पुलिस ने या तो वहाँ से मुंह मोड़ लिया और या जान-बूझकर अपने-आपको वारदात के मौके से दूर रसा।
उस दिन एक नहीं, दो खन हुए। एक माराम दांक, एक मजदूर, राम बहादुर राम का । वह भी इस झमेले में जान से मारा गया। यह कन पिस्तौल से किया गया। वह व्यक्ति उसी समय वहीं देर हो गया। यह आदमी क्यों मारा गया ? क्या लोगों में आतंक फैलाने के उद्देश्य से चलाई हई गोली छिटककर उसे लग गई ? या फिर उस कुत्ल का कारण भी कुछ और था?
और वैसे सफदर भी आखिर क्यों मारा गया ? या इसलिए कि उसने मजदरों को उचित वेतन दिलवाने के सिलसिले में अपनी आवाज़ बुलंद की? या शायद इसलिए कि उसने अवाम के गरीब और मेहनतकश तबकों का हर मौके पर साथ दिया, हर जुल्म के लिए उनके पक्ष में सड़ा हो गया ? फिर कातिल आखिर कौन थे ? सुना है चश्मदीद गवाह मौजूद हैं। आतंक का माहौल अगर साफ हो जाए तो वह सामने आ सकते हैं। यह जरूरी है कि मामला जल्दी-से-जल्दी इंसाफ की मंजिल तक पहुंचे।