समझदार बूढ़ी औरत | Samajhdar Budhi Ourat के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : समझदार बूढ़ी औरत है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 1.2 MB है | पुस्तक में कुल 15 पृष्ठ हैं |नीचे समझदार बूढ़ी औरत का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | समझदार बूढ़ी औरत पुस्तक की श्रेणियां हैं : children
Name of the Book is : Samajhdar Budhi Ourat | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 1.2 MB | This Book has 15 Pages | The Download link of the book "Samajhdar Budhi Ourat" is given above, you can downlaod Samajhdar Budhi Ourat from the above link for free | Samajhdar Budhi Ourat is posted under following categories children |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
पहाड़ी पर वो बहुत ऊंचा चढ़ा. अंत में पेड़ों के झुरमुटों में पगडंडी गुम हो गई, और सूरज भी छिप गया. अब उसे किसी चिड़िया की चहचहाहट तक सुनाई नहीं दे रही थी. उसे सिर्फ पेड़ों के बीच बहती हवा की तेज़ सायं-सायं ही सुनाई दे रही थी. पर वो और ऊंचाई पर चढ़ता गया. फिर उसे कुछ सुनाई दिया. जैसे-जैसे वे पेड़ों के नीचे से गुज़र रहे थे, वैसे-वैसे माँ छोटी-छोटी टहनियां तोड़कर नीचे फेंक रही थी. "मैं रास्ते में छोटी-छोटी टहनियां गिरा रही हूँ बेटा, जिससे लौटते वक्त तुम्हें रास्ता खोजने में ज्यादा दिक्कत न हो," माँ ने कहा. अब सब कुछ युवा किसान की बर्दाश्त से बाहर हो गया था.|