संस्कृत-काव्यशास्त्र में निरूपित विरोधमूलक अलंकारों का आलोचनात्मक अध्ययन | Sanskrit-Kavyashastra Mein Nirupit Virodhmulak Alankaron ka Alochanatmak Adhayayan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : संस्कृत-काव्यशास्त्र में निरूपित विरोधमूलक अलंकारों का आलोचनात्मक अध्ययन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Kumkum Yadav | Kumkum Yadav की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Kumkum Yadav | इस पुस्तक का कुल साइज 43.4 MB है | पुस्तक में कुल 237 पृष्ठ हैं |नीचे संस्कृत-काव्यशास्त्र में निरूपित विरोधमूलक अलंकारों का आलोचनात्मक अध्ययन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | संस्कृत-काव्यशास्त्र में निरूपित विरोधमूलक अलंकारों का आलोचनात्मक अध्ययन पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature
Name of the Book is : Sanskrit-Kavyashastra Mein Nirupit Virodhmulak Alankaron ka Alochanatmak Adhayayan | This Book is written by Kumkum Yadav | To Read and Download More Books written by Kumkum Yadav in Hindi, Please Click : Kumkum Yadav | The size of this book is 43.4 MB | This Book has 237 Pages | The Download link of the book " Sanskrit-Kavyashastra Mein Nirupit Virodhmulak Alankaron ka Alochanatmak Adhayayan " is given above, you can downlaod Sanskrit-Kavyashastra Mein Nirupit Virodhmulak Alankaron ka Alochanatmak Adhayayan from the above link for free | Sanskrit-Kavyashastra Mein Nirupit Virodhmulak Alankaron ka Alochanatmak Adhayayan is posted under following categories literature |
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संस्कृत-साहित्य अनन्त सौन्दर्य का सागर है और उस सौन्दर्य का अन्वेषण करने वाला शास्त्र साहित्यशास्त्र है। काव्य-सौन्दर्य की अभिवृद्धि करने वाले धर्म अल•T का अध्ययन एवं विश्लेषपे भारतीय काव्यशास्त्र में विशेष रूप से हुआ है। काव्यशास्त्र में विभिन्न अलङ्क:Tरक तत्वों के साथ-साथ अलङ्कारों को विशेष महत्व प्रदान करते हुए उसकी भी उपादेयता स्वीकार की गयी। अलङ्कार के अभाव में काव्यत्व की कल्पना ही असङ्ग•त मानी गयी। काव्य में इतना अधिक चमत्कार उत्पन्न करने वाले इन अलङ्कारों के प्रति आकर्षित होना स्वाभाविक ही है