सतगुरु कबीर साहेब का बीजक | Satguru Kabir Saheb Ka Beejak

सतगुरु कबीर साहेब का बीजक | Satguru Kabir Saheb Ka Beejak

सतगुरु कबीर साहेब का बीजक | Satguru Kabir Saheb Ka Beejak के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : सतगुरु कबीर साहेब का बीजक है | इस पुस्तक के लेखक हैं : kabir | kabir की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 6.4 MB है | पुस्तक में कुल 122 पृष्ठ हैं |नीचे सतगुरु कबीर साहेब का बीजक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सतगुरु कबीर साहेब का बीजक पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

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पुस्तक का साइज : 6.4 MB
कुल पृष्ठ : 122

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सुना और समझा और इसी में से अपना मत अलग प्रगट किया । आप एकेश्वरवादी थे। मुसलमान पीरो से आप ने विसात और फिराक के मजे चखे और हिन्दु साधु से मूर्तिपूजा और येाग का झार्न पायो । शेरू की के सिद्धान्त की है और आप के सूफी स्यानात, कधीर साहेब के बच्चों और साक्षिय से स्पष्ट विदित हैं। पर आप पूरे सूफ़ी ही मैं यह नहीं कहा जा सकता।"
आप हिन्दी साहित्य ही के जन्मदाता नहीं हैं कि नवीन पालात और नवीन मज़हब के भी। अपने हिन्दी द्वारा अपनी भाष, अपना विश्वास और अपना शाम हिंदुओं को, सारण बौल-साल की हिन्दी, और सरल कविता के रूप में, मोमेक बनाकर जताया। फिर क्या थी । आपके सैकड़ी, हज़ारों नही खासी शिष्य है। अप। निम्न अय से अप का मुसलमान जोखा है। सं जान पड़ता है। ..... " नाई के अमृत की कायी जा मै जोला काग" .: : ::
| " क कबीर राम रस माते जलद्दा वास करा हे।" .:: :: :, .. : * ज्ञासिं तुलाहा क्या है रिदे बसे गोपाल। . .
विर; रमैया काठ मिल चुके सरन जञ्जा । : । :: .. .। आप के मुख्य मिष्य धनी धर्मदास जी के कहते हैं, आप मान के शिष्य थे
अनी में प्रगटे : डोस अंदा : नीरू के गृह जाएं। :::::::
रामणिन्द के.शिष्यं भग्ः भवंसार देय अं ... !!" आप अशिक्षित थे परं निंरें *धार न थे, और ससँग द्वारा न प्त किया। मुसलमान के आप बरे वालीफा थे पर हिन्दू धर्म के कुरीतियों के भी विरोधी थे। और ये सब वभाव सिद्ध करते हैं कि मापने अपने अतमान समय के स्वामी मानव जौ से ही उनके प्रण किया था। मुस्लमानों के विरुद्ध आप कहते हैं- ':, -: ::." भनी फराय के ज ना , औरत का झा कहिए ।। . . . . . । ।
अरध शेरीर नारिं यस्यानें, तोते हिन्दू दिए । : बीजक : किसी मना पाँच परि, किती मनानें रोइ ।'
हिन्दू पूर्जे देवता, तुर्क न बाहुक हेइ ॥ बीजक कर साहेब एक दिन मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियों पर ले रहे थे। स्वामी रामानन्द यहाँ शेष विमान करने जाते थे और अचानक इसका पैर कबीर पर ... इनकी आम्दावली -2 में बिलबेवियर श्रेष्ठ, प्रयाग से भगाइए ।

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1 Comment
  1. LAKHAN SINGH MEENA says

    sahev bandgi sahev

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