आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग | Atmanubhuti tatha uske Marg

आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग : स्वामी विवेकानंद | Atmanubhuti tatha uske Marg : Swami Vivekanand

आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग : स्वामी विवेकानंद | Atmanubhuti tatha uske Marg : Swami Vivekanand के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Swami Vivekanand | Swami Vivekanand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 7.4 MB है | पुस्तक में कुल 152 पृष्ठ हैं |नीचे आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu

Name of the Book is : Atmanubhuti tatha uske Marg | This Book is written by Swami Vivekanand | To Read and Download More Books written by Swami Vivekanand in Hindi, Please Click : | The size of this book is 7.4 MB | This Book has 152 Pages | The Download link of the book "Atmanubhuti tatha uske Marg" is given above, you can downlaod Atmanubhuti tatha uske Marg from the above link for free | Atmanubhuti tatha uske Marg is posted under following categories dharm, hindu |


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पुस्तक का साइज : 7.4 MB
कुल पृष्ठ : 152

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प्राप्त कर देते हैं। उसका कोई प्रतिक्रिया नहीं होती और न उसे दुःख का ही स्पर्श होता है, लेकिन दुनिया के ये क्षणभंगुर भोग सदा ही प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं। इस सब का कारण है द्वैतभाव अर्थात् यह भाव कि मैं दुनिया से अलग हैं, मैं परमेश्वर से अलग हैं। लेकिन ज्योंही यह भावना कि मैं ग्रह हैं, मैं ही विश्व का आत्मा हैं, मैं आनंदस्वरूप हैं, मैं नित्यमुक्त हैं, उत्पन्न हो जाती है, यही सच्चा प्रेम प्रकट हो जाता है, इर भाग जाता है और दुःख दूर हो जाता है।

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1 Comment
  1. shailendra says

    Hang lagnai say behtar hai Gish Jana

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