शासनप्रभावक आचार्य जैन प्रभा और उनका साहित्य | Shasan Prabhavak Acharya Jain Prabha Aur Unka Sahitya के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : शासनप्रभावक आचार्य जैन प्रभा और उनका साहित्य है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Mahopadhyay Vinay Sagar | Mahopadhyay Vinay Sagar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Mahopadhyay Vinay Sagar | इस पुस्तक का कुल साइज 3.7 MB है | पुस्तक में कुल 244 पृष्ठ हैं |नीचे शासनप्रभावक आचार्य जैन प्रभा और उनका साहित्य का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | शासनप्रभावक आचार्य जैन प्रभा और उनका साहित्य पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Shasan Prabhavak Acharya Jain Prabha Aur Unka Sahitya | This Book is written by Mahopadhyay Vinay Sagar | To Read and Download More Books written by Mahopadhyay Vinay Sagar in Hindi, Please Click : Mahopadhyay Vinay Sagar | The size of this book is 3.7 MB | This Book has 244 Pages | The Download link of the book "Shasan Prabhavak Acharya Jain Prabha Aur Unka Sahitya " is given above, you can downlaod Shasan Prabhavak Acharya Jain Prabha Aur Unka Sahitya from the above link for free | Shasan Prabhavak Acharya Jain Prabha Aur Unka Sahitya is posted under following categories dharm |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
आपकी परम्परा की एक विशिष्ट संग्रह-प्रति बीकानेर के वृहद्ज्ञान भंडार में हमें प्राप्त हुई और एक उल्लेखनीय विशिष्ट संग्रह गुटमा हमारे अभय जैन अन्यालय के वला-भवन में प्रर्दाशत है। आपकी परम्परा में कई आचार्य और मुनिगण अच्छे विद्वान् हुए हैं जिनका कुछ परिचय प्रस्तुत ग्रन्य में दिया गया है । अठारहवीं शताब्दी तक तो अपि की परम्परा चलती रही पर आचार्य-परम्परा १७ वीं शती में समाप्त हो गई थी। महान् टीकाकार चारित्रवर्द्धन आपकी परम्परा के उल्लेखनीय विद्वान् हैं ।