श्रीउदयनग्रंथावलि: भाग – १ | Shri Udayan Granthawali Part – 1

श्रीउदयनग्रंथावलि: भाग – १ | Shri Udayan Granthawali Part – 1

श्रीउदयनग्रंथावलि: भाग – १ | Shri Udayan Granthawali Part – 1 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : श्रीउदयनग्रंथावलि: भाग – १ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Kishori Nath Jha | Kishori Nath Jha की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 129.3 MB है | पुस्तक में कुल 446 पृष्ठ हैं |नीचे श्रीउदयनग्रंथावलि: भाग – १ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्रीउदयनग्रंथावलि: भाग – १ पुस्तक की श्रेणियां हैं : Granth

Name of the Book is : Shri Udayan Granthawali Part – 1 | This Book is written by Kishori Nath Jha | To Read and Download More Books written by Kishori Nath Jha in Hindi, Please Click : | The size of this book is 129.3 MB | This Book has 446 Pages | The Download link of the book "Shri Udayan Granthawali Part – 1" is given above, you can downlaod Shri Udayan Granthawali Part – 1 from the above link for free | Shri Udayan Granthawali Part – 1 is posted under following categories Granth |


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पुस्तक का साइज : 129.3 MB
कुल पृष्ठ : 446

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यहाँ यह आशंका बही होनी चाहिए कि अभ्युदय और नि:श्रेयसके अर्थात ऐहिक उत्कर्ष तथा मोक्ष के उपयोगी विषय का परिज्ञान तो प्रमाण तथा प्रमेय के विवेचन से ही संभव है पुन: उनसे भिन्न संशय आदि चौदह पदार्थों का विचार यहाँ क्यों किया गया है। न्यायभाष्यकर ने स्पष्ट कहा है कि उपनिषद आदि विद्या की तरह यह केवल अध्यात्म विद्या ही नहीं है

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