सिद्धिदायक साधनाओ के परीक्षित प्रयोग | Siddhidayak Sadhnaao Ke Parikshit Prayog

सिद्धिदायक साधनाओ के परीक्षित प्रयोग | Siddhidayak Sadhnaao Ke Parikshit Prayog

सिद्धिदायक साधनाओ के परीक्षित प्रयोग | Siddhidayak Sadhnaao Ke Parikshit Prayog

सिद्धिदायक साधनाओ के परीक्षित प्रयोग | Siddhidayak Sadhnaao Ke Parikshit Prayog के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : सिद्धिदायक साधनाओ के परीक्षित प्रयोग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhagwati Devi Sharma | Bhagwati Devi Sharma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 01.7 MB है | पुस्तक में कुल 25 पृष्ठ हैं |नीचे सिद्धिदायक साधनाओ के परीक्षित प्रयोग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सिद्धिदायक साधनाओ के परीक्षित प्रयोग पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Siddhidayak Sadhnaao Ke Parikshit Prayog | This Book is written by Bhagwati Devi Sharma | To Read and Download More Books written by Bhagwati Devi Sharma in Hindi, Please Click : | The size of this book is 01.7 MB | This Book has 25 Pages | The Download link of the book "Siddhidayak Sadhnaao Ke Parikshit Prayog" is given above, you can downlaod Siddhidayak Sadhnaao Ke Parikshit Prayog from the above link for free | Siddhidayak Sadhnaao Ke Parikshit Prayog is posted under following categories dharm |

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पुस्तक का साइज : 01.7 MB
कुल पृष्ठ : 25

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गायत्री ब्रह्मविद्या है। उसी को कामधेनु कहते हैं। स्वर्ग के देवता इसी का पयपान करके सोमपान का आनंद लेते और सदा नीरोग, परिपुष्ट एवं युवा बने रहते हैं। गायत्री को कल्पवृक्ष कहा गया है। इसका आश्रय लेने वाला अभावग्रस्त नहीं रहता गायत्री ही पारस है। जिसका आश्रय-सान्निध्य लेने वाला लोहे जैसी कठोरता-कालिमा खोकर स्वर्ण जैसी आभा और गरिमा उपलब्ध करता है। गायत्री ही अमृत है। इसे अंतराल में उतारने वाला अजर-अमर बनता है। स्वर्ग और मुक्ति को जीवन का परम लक्ष्य माना गया है। यह दोनों ही गायत्री द्वारा साधक को अजस्त्र अनुदान के रूप में अनायास ही मिलते हैं।

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