वक्तृत्व कला 5 | Vaktritav Kala 5

वक्तृत्व कला 5 | Vaktritav Kala 5

वक्तृत्व कला 5 | Vaktritav Kala 5 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : वक्तृत्व कला 5 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 06.2 MB है | पुस्तक में कुल 358 पृष्ठ हैं |नीचे वक्तृत्व कला 5 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | वक्तृत्व कला 5 पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Vaktritav Kala 5 | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 06.2 MB | This Book has 358 Pages | The Download link of the book "Vaktritav Kala 5" is given above, you can downlaod Vaktritav Kala 5 from the above link for free | Vaktritav Kala 5 is posted under following categories dharm |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 06.2 MB
कुल पृष्ठ : 358

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शतावधानी मुनि श्री धनराज जी जैनजगत के यशस्वी प्रवक्ता हैं। उनका प्रवचन, वस्तुत प्रवचन होता है। श्रोताओं को अपने प्रस्तावित विपय पर केन्द्रित एव मंत्र-मुग्ध कर देना उनका सहज कर्म है । और यह उनका वक्तृत्व-एक बहुत बड़े व्यापक एवं गभीर अध्ययन पर आधारित है। उनका सस्कृत-प्राकृत आदि प्राचीन भापासो का ज्ञान विस्तृत है, साथ ही तलस्पर्शी भी मालूम होता है, उन्होंने पाहित्य को केवल छुआ भर नहीं है, किंतु समग्रशक्ति के साथ उसे गहराई से अधिग्रहण किया है।

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