सुधांजलि | Sudhanjali
सुधांजलि | Sudhanjali के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : सुधांजलि है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Gopinath Kaviraj | Dr. Gopinath Kaviraj की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Dr. Gopinath Kaviraj | इस पुस्तक का कुल साइज 3 MB है | पुस्तक में कुल 231 पृष्ठ हैं |नीचे सुधांजलि का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सुधांजलि पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Sudhanjali | This Book is written by Dr. Gopinath Kaviraj | To Read and Download More Books written by Dr. Gopinath Kaviraj in Hindi, Please Click : Dr. Gopinath Kaviraj | The size of this book is 3 MB | This Book has 231 Pages | The Download link of the book "Sudhanjali" is given above, you can downlaod Sudhanjali from the above link for free | Sudhanjali is posted under following categories Poetry |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
विरह प्रेम का आधार है। मिलन का परम आनन्द तथा प्रभा की नींव बिरह अविलपत अश्रु हैं। विरह के बिना प्रेम का पोषण तथा विकास नहीं हो सकता, विरह के बाद मिलन अवश्य होता है, परन्तु मिलन विरह को एकदम समात नहीं कर देता। प्रत्येक नवन प्रकाश के परिपूर्ण होते ही विरह उत्तराधिकारी होता है. नहीं तो विरह के उपरान्त मिलन कैसे होता है इस का नित्य नवीन रस बनाये ही रहता है। अतून अभिलापों से परिवर्धित शून्यता है।