सुव्यवस्थित जीवन का मनोविज्ञान | Suvyavasthit Jivan Ka Manovignya के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : सुव्यवस्थित जीवन का मनोविज्ञान है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shriram Sharma Acharya | Shriram Sharma Acharya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shriram Sharma Acharya | इस पुस्तक का कुल साइज 755 KB है | पुस्तक में कुल 33 पृष्ठ हैं |नीचे सुव्यवस्थित जीवन का मनोविज्ञान का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सुव्यवस्थित जीवन का मनोविज्ञान पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational
Name of the Book is : Suvyavasthit Jivan Ka Manovigyan | This Book is written by Shriram Sharma Acharya | To Read and Download More Books written by Shriram Sharma Acharya in Hindi, Please Click : Shriram Sharma Acharya | The size of this book is 755 KB | This Book has 33 Pages | The Download link of the book "Suvyavasthit Jivan Ka Manovigyan" is given above, you can downlaod Suvyavasthit Jivan Ka Manovigyan from the above link for free | Suvyavasthit Jivan Ka Manovigyan is posted under following categories inspirational |
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इकट्ठे होते रहते हैं। खदानें इसी आधार पर दिन-दिन विस्तृत होती रहती हैं। यह सिद्धांत मनुष्यों पर भी लागू होता है। उनका आंतरिक चुंबकत्व सजातियों को अपनी ओर खींचता रहता है और तरह-तरह के समूह बनते रहते हैं। अपने गुण, कर्म, स्वभाव के अनुरूप जिस स्तर को व्यक्तित्व विनिर्मित होता है उसी प्रकार के व्यक्ति घनिष्ठ बनते चले जाते हैं और फिर उनके संयोग में जो प्रतिक्रिया होनी चाहिए वह होती है।दुष्ट-दुर्जनों के मिलने पर उसी प्रकार की हलचलें उत्पन्न होती हैं और स्नेही, सज्जनों का सद्भाव संपन्न आदान-प्रदान चल पड़ता है।