स्वदेशाभिमान | Swadeshabhiman

स्वदेशाभिमान : विनायक कोंडदेव ओक  | Swadeshabhiman : Vinayak Kondev Oak

स्वदेशाभिमान : विनायक कोंडदेव ओक | Swadeshabhiman : Vinayak Kondev Oak के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : स्वदेशाभिमान है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vinayak oak | Vinayak oak की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 5.9 MB है | पुस्तक में कुल 54 पृष्ठ हैं |नीचे स्वदेशाभिमान का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | स्वदेशाभिमान पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational

Name of the Book is : Swadeshabhiman | This Book is written by Vinayak oak | To Read and Download More Books written by Vinayak oak in Hindi, Please Click : | The size of this book is 5.9 MB | This Book has 54 Pages | The Download link of the book " Swadeshabhiman" is given above, you can downlaod Swadeshabhiman from the above link for free | Swadeshabhiman is posted under following categories inspirational |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 5.9 MB
कुल पृष्ठ : 54

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यह दुख अमेरिकन सैनिकांने विचार किया कि उस घर में आग लगा दी जाय । बहु बिचार लेफ्टनेंट कर्नल लीने जव उस स्त्रीपर प्रगट किया तब उसे कुछ भी दुःख नहीं हुआ।
और वह बड़े उत्साह बोली-“मेरा घर जल जायगा तो क्या होगा ? इसके जलनसे मेरे देशका तो कुछ-न-कुछ कार्य बनता है। इससे मैं यहीं समझे नी कि मेरा घर काममें लग गया। और उसे जलता हुआ मैं आनन्दसे देखेंगी।'' बहू केबल बातूनी जमा खर्च नहीं था; किंतु उस घर में आग लगानेके लिए पलीता स्वयं उस बीने ही तैयार कर दिया था !
* * * हमारे अधिकारों को सुरक्षित रहने देनेपर ही
तुम हमारे राजा हो । स्पेन देशमें आरागान नामक एक प्रांत है। वहांके सरदार लोगोंने स्पेन देशके राजाके गद्दीपर बैठते समय जो शपथ ली उससे जान पड़ता है कि यद्यपि वे राजभक्त थे, तो भी स्वतंत्रताका तेज उनमें कम नहीं था । बह शपथ इस प्रकार थी—“हम, आरागान रियासतके सरदार प्राचीन काल से स्वतंत्र चले आते हैं । इस लिए हुम महाराजको वरावरीके हैं—अथवा उनसे कुछ अधिक ही हैं। अवसे हम सब लोग महाराजको अपना राजा स्वीकार करते हैं।

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