त्रिपुरारहस्यम ( ज्ञानखण्डम ) | Tripurarahasya Gyankhandam

त्रिपुरारहस्यम ( ज्ञानखण्डम ) | Tripurarahasya Gyankhandam

त्रिपुरारहस्यम ( ज्ञानखण्डम ) | Tripurarahasya Gyankhandam के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : त्रिपुरारहस्यम ( ज्ञानखण्डम ) है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Jagdishchandra Mishra | Acharya Jagdishchandra Mishra की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 79.9 MB है | पुस्तक में कुल 376 पृष्ठ हैं |नीचे त्रिपुरारहस्यम ( ज्ञानखण्डम ) का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | त्रिपुरारहस्यम ( ज्ञानखण्डम ) पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, literature

Name of the Book is : Tripurarahasya Gyankhandam | This Book is written by Acharya Jagdishchandra Mishra | To Read and Download More Books written by Acharya Jagdishchandra Mishra in Hindi, Please Click : | The size of this book is 79.9 MB | This Book has 376 Pages | The Download link of the book "Tripurarahasya Gyankhandam" is given above, you can downlaod Tripurarahasya Gyankhandam from the above link for free | Tripurarahasya Gyankhandam is posted under following categories history, literature |


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पुस्तक का साइज : 79.9 MB
कुल पृष्ठ : 376

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संस्कृत-साहित्य में ही तन्त्र-मन्त्र और इसके कई अंग-उपांग व्यापक रूप से लिखे गये हैं। ऋग्वेद जैसे वेद की हर ऋचा अपने-आप में एक ऊर्जस्वी मन्त्र हैं। तन्त्रशास्त्रों की रचना भी यहीं की देन हैं। तन्त्र-मन्त्र में अपार क्षमता है, यह सर्वविदित और स्वयंसिद्ध है। कुछ तत्त्वों ने इसका दुरुपयोग किया है, यह दूसरी बात है। लेकिन दुरुपयोग के कारण इस साहित्य की समृद्धता से नकारा नहीं जा सकता तन्त्र और मन्त्र ने मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण इत्यादि से लेकर जीवन के समरस और सुखद पक्ष तक का प्रतिनिधित्व किया है।

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