वैदिक योगसूत्र | Vaidik Yogsutra

वैदिक योगसूत्र : हरिशंकर जोशी | Vaidik Yogsutra : Harishankar Joshi

वैदिक योगसूत्र : हरिशंकर जोशी | Vaidik Yogsutra : Harishankar Joshi के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : वैदिक योगसूत्र है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Harishankar Joshi | Harishankar Joshi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 17.6 MB है | पुस्तक में कुल 427 पृष्ठ हैं |नीचे वैदिक योगसूत्र का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | वैदिक योगसूत्र पुस्तक की श्रेणियां हैं : ayurveda, health

Name of the Book is : Vaidik Yogsutra | This Book is written by Harishankar Joshi | To Read and Download More Books written by Harishankar Joshi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 17.6 MB | This Book has 427 Pages | The Download link of the book "Vaidik Yogsutra" is given above, you can downlaod Vaidik Yogsutra from the above link for free | Vaidik Yogsutra is posted under following categories ayurveda, health |


पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 17.6 MB
कुल पृष्ठ : 427

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पद या पदानि नाम वैदिक दर्शन की एक सुरण का महत्त्वपूर्ण नाम है। इसके सैकड़ों अन्य नाम हैं। वे नाम विभिन्न वारणियों की व्याख्या में सम्बन्६ रखते हैं। इनका सविस्तर वर्णन 'वैदिक दर्शन के तत्वों का निर्णय' शीर्षक के सप्तवाद में देना आवश्यक हैं । दिकों ने अपने इवनि को ट्याश्या सरल
गाने के लिए उसे मात भागों में विभक्त किया था। उन सात भागों के अनेकों नामों में से एक नाम ‘पदानि' 'या' (प्त या सात संख्या वाले ) भी हैं। जैसे 'कुताय गुप्त इपिधे पानि' (ऋ. १. १०--४)। इन्हीं को ‘सुश भदाः कनवस्तुतः ' ( [.. व. १०-५०६ ) सात मर्यादा कहते हैं जिन्हें कत्रियों ने रचा की गया है। इस कवि शम्य में हमारा म अगली पंक्ति में गहेगा। इन्हीं को जाम या सण का भी कहते हैं उसे 'तप्तधामन गरियन्नमय' ( ऋ० १० १०-१३३-३ } 'गृषिम्याः अतभामभि:

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2 Comments
  1. Sk Kashiv says

    I am unable to download books .Please help

    1. admin says

      thanks for informing us. link has been updated. now you can download this book

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