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वेदांत दीपिका : परमहंस स्वामी योगानंद | Vedant Deepika : Parmhans Swami Yoganand

वेदांत दीपिका : परमहंस स्वामी योगानंद | Vedant Deepika : Parmhans Swami Yoganand

वेदांत दीपिका : परमहंस स्वामी योगानंद | Vedant Deepika : Parmhans Swami Yoganand के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : वेदांत दीपिका है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Parmhans Swami Yoganand | Parmhans Swami Yoganand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 47.7 MB है | पुस्तक में कुल 369 पृष्ठ हैं |नीचे वेदांत दीपिका का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | वेदांत दीपिका पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu

Name of the Book is : Vedant Deepika | This Book is written by Parmhans Swami Yoganand | To Read and Download More Books written by Parmhans Swami Yoganand in Hindi, Please Click : | The size of this book is 47.7 MB | This Book has 369 Pages | The Download link of the book "Vedant Deepika" is given above, you can downlaod Vedant Deepika from the above link for free | Vedant Deepika is posted under following categories dharm, hindu |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 47.7 MB
कुल पृष्ठ : 369

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एक राजा के राजमहल के पास एक पंडित रहता था, वह राजा का आश्रित था और उसके दो लड़के थे। उनमें से छोटा लड़का बाल्यावस्था से ही कहा करता था, मैं राजकुमारी के साथ विवाह करूंगा। माता पिता और बड़ा भाई यह सुन कर समझाया करते थे, ऐसा न कह, यदि राजा क्रोधित हुआ तो हमारा घरबार लुटवा देगा। लड़का समझाने पर भी न मानता और वही कहा करता । वड़े लड़के का विवाह हो गया, छोटे का विवाह करने को सब ने अनेक प्रयत्न किये परन्तु न हुआ उसने और किसी से विवाह करने को मने कर दिया। एक दिन कुटुम्वियों ने आकर् पहुत तंग किया तब उसने कहा आप लोग मुझे क्यों तंग करते हैं? मैं विवाह नहीं करूंगा और जो करूंगा तो राजकुमारी के साथ करूंगा । सव की तरफ से एक ने कहा ऐसा नहीं हो सका । वर उसने कहा, यदि ऐसा नहीं हो सका तो मुझे भी रहित रहना स्वीकार है। सव लोग निराश हो न चले गये । बात दिन पर दिन फेजवी गई और फैलते २ राजा के कानों तक पहुंच गई। राजा ने पंडित को बुला कर डाटा, पंडित विचारा चुप होकर पता आया।

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One comment

  1. misc. श्रेणी के अन्तर्गत “कुट्टनीमतम काव्य” नामक पुस्तक डाउन लोड नहीं हो पा रही है। कृपया इसकी खराबी ठीक करा दें।धन्यवाद।

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