विमल विभूतियाँ | Vimal Vibhutiyan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : विमल विभूतियाँ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Pushkar Muni Ji | Shri Pushkar Muni Ji की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shri Pushkar Muni Ji | इस पुस्तक का कुल साइज 8 MB है | पुस्तक में कुल 252 पृष्ठ हैं |नीचे विमल विभूतियाँ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | विमल विभूतियाँ पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Vimal Vibhutiyan | This Book is written by Shri Pushkar Muni Ji | To Read and Download More Books written by Shri Pushkar Muni Ji in Hindi, Please Click : Shri Pushkar Muni Ji | The size of this book is 8 MB | This Book has 252 Pages | The Download link of the book " Vimal Vibhutiyan" is given above, you can downlaod Vimal Vibhutiyan from the above link for free | Vimal Vibhutiyan is posted under following categories Poetry |
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इतिहास मानव जाति की सबसे बड़ी अनमोल सम्पदा है, अतीत की महत्त्व| पूर्ण घटनाओ और चली आ रही परम्परागत धारणाओ का यथार्थ चित्रण है। भारतीय धर्म, दर्शन, और समाज की ऐतिहासिक परम्परा अत्यधिक समृद्ध रही है। यह एक ज्वलन्त सत्य है कि व्यष्टि की अपेक्षा समष्टि को, व्यक्ति की अपेक्षा समाज को अत्यधिक महत्त्व देने के कारण भारतीय परम्परा में इतिहास का जिस प्रकार लेखन अपेक्षित था, उस रूप में न हो सका। किन्तु इतिहास लेखन के विविध स्रोत किसी न किसी रूप में सुरक्षित अवश्य रहे हैं । महाकाल के मझावात में भी वे स्रोत लुप्त नही हुए हैं । महाभारत के सुप्रसिद्ध लेखक वेदव्यास ने लिखा है-'इतिहास की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए । घन आता है और जाता है । धन के नष्ट होने पर कोई नष्ट नहीं होता, पर इतिहास के विनष्ट होने पर उसका विनाश निश्चित हैं ।