कर्मठ महिलाएं : ऋतू मेनन | Women Who Dared : Ritu Menon के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : कर्मठ महिलाएं है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 15.6 MB है | पुस्तक में कुल 139 पृष्ठ हैं |नीचे कर्मठ महिलाएं का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कर्मठ महिलाएं पुस्तक की श्रेणियां हैं : education, history, india, inspirational, Knowledge, women
Name of the Book is : Women Who Dared | This Book is written by | To Read and Download More Books written by in Hindi, Please Click : | The size of this book is 15.6 MB | This Book has 139 Pages | The Download link of the book "Women Who Dared" is given above, you can downlaod Women Who Dared from the above link for free | Women Who Dared is posted under following categories education, history, india, inspirational, Knowledge, women |
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चार
कर्मठ महिलाएं दोनों को प्रखर बना दिया। नारोवादियों को लगा कि जमीनी सचाई से जूझने के लिए उन्हें ठोस सूचना और उसके विश्लेषण की आवश्यकता थी। अब शोधकर्ताओं एवं शिक्षाविदों ने महिलाओं की आपबीती एवं तत्संबंधी प्रयोगाश्रित आंकड़ों के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन, विश्लेषण एवं सिद्धांत-प्रतिपादन की महत्ता समझी। शैक्षणिक एवं सक्रिय गतिविधियों कार्यों के सम्मिलन ने सरकार एवं नीति-निर्माताओं को यह स्वीकार करने के लिए बाध्य कर दिया कि महिलाओं के विरुद्ध सुनियोजित एवं व्यवस्थाजन्य भेद-भाव व्याप्त हैं। उन्हें महिलाओं के वास्तविक सशक्तीकरण के लिए नीतियों एवं कार्यक्रमों के विकास पर ध्यान देने के लिए बाध्य कर दिया ताकि महिलाओं को देश के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन में आधिकारिक स्थान मिल सके। इस संदर्भ में आंदोलन के महत्त्वपूर्ण योगदान और इसके दूरगामी प्रभावों के विस्तृत वर्णन की यहां आवश्यकता नहीं है। इतना कहना ही पर्याप्त है कि यह बीसवीं सदी के अति महत्त्वपूर्ण सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलनों में एक है।
विश्वविद्यालयों के अंतर्गत लक्ष्मण रेखा पार करने का श्रेय निस्संदेह उन नारीवादी शिक्षकों एवं शोधार्थियों को जाता है जिन्होंने मूलपाठ (टेक्स्ट) की संरचना में व्यापक परिवर्तन किए हैं; विषयी रूदियों को चुनौती दी है। पद्धतियों में नयापन दिया है और सभी अनुशासनों में लैंगिक भेदभाव दूर करने के उद्देश्य से शैक्षणिक संस्थानों में जगह बनाने के लिए संघर्ष किया है। उनकी सक्रियता के लिए उन्हें अकसर फटकारा गया है बल्कि अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की गई है। संभव है इसी सक्रियता ने उन्हें सर्वप्रथम अपने शोध एवं शिक्षा पर पुनर्विचार करने के लिए उपत किया हो। अपने काम के साथ-साथ उन्होंने दहेज के विरुद्ध, और बलात्कार नियमों में परिवर्तन के लिए संघर्ष जारी रखा। मीडिया में महिलाओं के नकारात्मक चित्रण का विरोध किया। सरकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों में हस्तक्षेप किया। उन्होंने भारतीय नारी की दशा का अध्ययन किया; अनुशंसाएं दीं, संकल्प लिया और लिंग-न्याय के मुद्दे पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
परिचय
तेरह महिला प्रतिनिधियों के योगदान को उकेरती यह पुस्तक एक ऐसा प्रयास है जिसमें उन महिलाओं की कहानी न सिर्फ उन्हीं के शब्दों में, बल्कि उनके सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ में प्रस्तुत हैं। उनके कार्य, उनका जीवन एवं भारत के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन से प्रभावित समाज में उनकी भूमिका कुल मिलाकर उनकी संक्षिप्त आत्मकथाओं के माध्यम से हमें उम्मीद है कि पाठकों को नित नए रूप में उभरते राष्ट्र की छवि की झलक मिलेगी क्योंकि यह छवि वस्तुतः भारतीय महिलाओं के जीवन में ही प्रतिबिंबित होती है। । प्रस्तु। 21 महिलाए सवल हैं और लोगों का संबल बन रही हैं। पर किस बात ने उन्हें प्रेरित किया ? उन्होंने जो किया, उसे कैसे चुना ? चुनौती, सुधार, विरोध, संरक्षण, अग्रगामी परिवर्तन के लिए संघर्ष-हर हाल में परिवर्तन करने की ललक उनमें कैसे आई ? वह भी न सिर्फ निजी जीवन में बल्कि सामाजिक या राजनीतिक प्रतिवद्धता, अपनी कला एवं अदम्य साहस के माध्यम से अन्यों के जीवन में भी। उनकी यादें--कभी बेबाक, तो कभी दबी जुबान, पर सदैव मनमोहक, हमारे समक्ष एक सतरंगी तस्वीर प्रस्तुत करती हैं। भूगोल और इतिहास को संजोए हुई तस्वीर ! सामूहिक इतिहास की परत दर परत सुलती आपवीतियां। व्यक्ति विशेष की दृष्टि एवं प्रतिबद्धता से प्रेरित सामूहिक प्रवृत्ति। छोटी शुरुआत-फेरी वालों, कूड़ा बीनने वालों, खेतिहर मजदूरों, भूमिहीन मजदूरों या दलितों के साथ-जो परिवर्तन की ओर अग्रसर होती हुई विशाल आकार की हो गई। भाव-भंगिमा, शब्द, थिरकन, कूची की चाल, ढांचा-इन्होंने नृत्य, नाटक, चित्रकारी, स्थापत्य कला, संगीत, पुस्तक और फिल्म सभी के संबंध में हमारी धारणा बदली नहीं भी, पर निस्संदेह संशोधित कर दी। खेल और पर्यटन के साहसिक कारनामें एवं रोमांच;
आदर्श से प्रभावित शोध एवं शिक्षण में व्याप्त परिवर्तनकारी संभावनाएं। अकेली महिला द्वारा सरकार की ताकतों को चुनौती और कानून के हरफों में उलटफेर । पर इस प्रयास का उद्देश्य महिला विशेष को अनावश्यक महत्त्व देना नहीं है। यथार्थतः इस संकलन के कई पात्र इस प्रकार की 'वीरगाथा' को खारिज कर देंगी। असली उद्देश्य है इन महिलाओं और परिवर्तन के लिए संघर्षरत अन्य समूहों एवं समुदायों के बीच परस्पर सक्रियता को प्रकाशित करना।
उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप कुछ बहुत सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। विगत दस वर्षों में महिला साक्षरता 15 प्रतिशत बढ़ी है। अब पंचायत की सीटों में उनके लिए 33 प्रतिशत आरक्षण होता है जो राजनीतिक सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। महिला समानता के लिए शिक्षा, संपूर्ण साक्षरता
कर्मठ महिलाएं (वीमेन हैं हेयर्ड) नामक यह कृति एक सरल पर सच्चा प्रयास है। विगत 50 वर्षों में हमारे देश के सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन में गिनी-चुनी
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