1857 की कहानियाँ | 1857 Ki Kahaniyan

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1857 की कहानियाँ | 1857 Ki Kahaniyan के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : 1857 की कहानियाँ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3.25 MB है | पुस्तक में कुल 66 पृष्ठ हैं |नीचे 1857 की कहानियाँ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | 1857 की कहानियाँ पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays

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पुस्तक का साइज : 3.25 MB
कुल पृष्ठ : 66

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मुल्ला वाहदी का कथन है कि एक बार ख्वाजा हसन निज़ामी सख्त बीमार हो गए। उनकी माता ने उन्हें एक दरवेश के पास भेजा जो अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफ़र के निकट के संबंधी थे। उन बुजुर्ग ने इनके गले में नादे अली का तावीज डलवा दिया। माताजी गर्व से बोली, “मेरे बच्चे के लिए हिंदोस्तान के बादशाह ने नादे अली का नक्श दिया है ।” “बादशाह” शब्द पर माता के आंसू निकल आए। ख्वाजा साहिब ने पूछा, “अम्मा, आप रोती क्यों हैं?" उन्होंने उत्तर दिया, “बेटा अब वे बादशाह नहीं हैं। अंग्रेजों ने तख्त-ताज सब छीन लिए हैं।”

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