वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास - भाग 3 | Vaidik Vishwa Rashtra Ka Itihas - Part 3

वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास – भाग 3 : पी. एन. ओ़क | Vaidik Vishwa Rashtra Ka Itihas – Part 3 : P.N.Oak |

वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास – भाग 3 : पी. एन. ओ़क | Vaidik Vishwa Rashtra Ka Itihas – Part 3 : P.N.Oak | के बारे में अधिक जानकारी :

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"इबेरिया (उर्फ ईबरीय) के अधिकांश भाग में अच्छी खासी एक बस्ती है। उस (बिरीय) प्रदेश के कुछ भाग (जैसे अमें नियों यानि अर्मनीय का एपिस तथा अल्बानिया उर्फ अल्बनीय) काकेशीय पर्वत शृङ्खला से घिरे हुए हैं (इसी काकेशस प्रदेश के अधिपति की पुत्री दशरथ पत्नी कैकेयी थी)। इस प्रदेश के निवासियों के भी चार वर्ण यानि वर्ग हैं। प्रथम श्रेणी के वे हैं। जिनमें से राजा लोग नियुक्त होते हैं। दूसरा वर्ग पुरोहितों का है। तीसरा बर्ग है किसान और सैनिकों का। चौथे में अन्य जन सम्मिलित हैं। उनके पूज्य देवता हैं सूर्य, बृहस्पति तथा चन्द्र । इबेरिया के समीप एक चन्द्र मन्दिर है। राजा के पश्चात् पुरोहितों का सम्मान होता था। अल्बनीय जन वयोवृद्धों का बड़ा आदर करते हैं। माता-पिता और अन्य सारे ही गुरुजनों को अल्बनीय लोग पूज्य मानते हैं।
ऊपर उद्धत किए स्ट बोकृत वर्णन से यह अनुमान निकलता है कि शिबिरीय, इबिरीय आदि नाम सारे यूरोप का निर्देश करते थे। किन्तु आजकल यूरोप के नैक्हल्प के स्पेन-पुर्तगाल-झांस वाले कोने को ही इबेरीय पेनिनसुला (Iberian Peninsula) कहते हैं । इबेरिया नाम ही बिगड़कर यूरोप उर्फ ईरुप' यानि Europe बना, ऐसा प्रतीत होता है। विद्वान् मनीषि व वाचक इस पर विचार या संशोधन करें।
स्टेंबो के कथन में दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि प्राचीन यूरोपीय समाज में चार वर्ण थे । अन्तर इतना ही है कि स्टवो कहता है कि उसके

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2 Comments
  1. Sohail Khan says

    mujhea ya download karna hai

    1. Tarique Kahlid Raza says

      यानी के पूरा मज़ा लेना है चुटकुले की किताब का

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