आत्मा और परमात्मा का मिलन संयोग | Aatma Aur Parmatma Ka Milan Sanyog के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : आत्मा और परमात्मा का मिलन संयोग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Shriram Sharma | Pt. Shriram Sharma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Pt. Shriram Sharma | इस पुस्तक का कुल साइज 7.1 MB है | पुस्तक में कुल 169 पृष्ठ हैं |नीचे आत्मा और परमात्मा का मिलन संयोग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आत्मा और परमात्मा का मिलन संयोग पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu
Name of the Book is : Aatma Aur Parmatma Ka Milan Sanyog | This Book is written by Pt. Shriram Sharma | To Read and Download More Books written by Pt. Shriram Sharma in Hindi, Please Click : Pt. Shriram Sharma | The size of this book is 7.1 MB | This Book has 169 Pages | The Download link of the book "Aatma Aur Parmatma Ka Milan Sanyog " is given above, you can downlaod Aatma Aur Parmatma Ka Milan Sanyog from the above link for free | Aatma Aur Parmatma Ka Milan Sanyog is posted under following categories dharm, hindu |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
प्रत्येक कर्म का कोई अधिष्ठाता जरूर होता है। परिवार के वयोवृद्ध मुखिया के हाथ सारी गृहस्थी का नियन्त्रण होता है, मिलोंकारखानों की देखरेख के लिए मैनेजर होते हैं, राज्यपाल-प्रान्त के शासन की बागडोर सँभालते हैं, राष्ट्रपति सम्पूर्ण राष्ट्र का स्वामी होता है। जिसके हाथ में जैसी विधि-व्यवस्था होती है उसी के अनुरूप उसे अधिकार भी मिले होते हैं। अपराधियों की दण्ड व्यवस्था, सम्पूर्ण प्रजा के पालन-पोषण और न्याय के लिये उन्हें उसी अनुपात से वैधानिक या सैद्धान्तिक अधिकार प्राप्त होते हैं। अधिकार न दिये जायें तो लोग स्वेच्छाचारिता, छल-कपट और निर्दयता का व्यवहार करने लगे। न्याय व्यवस्था के लिये शक्ति और सत्तावान होना उपयोगी ही नहीं आवश्यक भी है।