महापुराणम आदि पुराणम भाग १ | Mahapuranam Aadi Puranam Part 1

महापुराणम आदि पुराणम भाग १ | Mahapuranam Aadi Puranam Part 1

महापुराणम आदि पुराणम भाग १ | Mahapuranam Aadi Puranam Part 1 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : महापुराणम आदि पुराणम भाग १ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pandit Pannalal Jain | Pandit Pannalal Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 49.29 MB है | पुस्तक में कुल 715 पृष्ठ हैं |नीचे महापुराणम आदि पुराणम भाग १ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | महापुराणम आदि पुराणम भाग १ पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature, dharm

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जब संस्कृत व्याकरणकी तरह ‘प्राकृत व्याकरण भी बननेको आवश्यकता हुई, तव स्वभावतःमस्कृत व्याकरणके प्रकृतिप्रत्ययके अनुसार ही उसकी रचना होनी थी । इसीलिये प्राय प्राकृत व्याकरणोमें प्रकृति, सस्कृतम्, तत्र भव प्राकृतम्' अर्थात् संस्कृत शब्द प्रकृति है और उससे निष्पन्न हुअ शब्द प्राकृत यह उल्लेख मिलता है । सस्कृतके 'घट' शब्द को ही प्रकृति मानकर प्राकृतव्याकरणके सूत्रो के अनुसार प्राकृत ‘घड' शब्द बनाया जाता है। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि पहिले सस्कृत थी फिर वही अपभ्भ्रष्ट' होकर प्राकृत बनी वस्तुत जनबोली प्राकृत मागधी ही रही है |

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