अमर आलोक | Amar Aalok

अमर आलोक | Amar Aalok

अमर आलोक | Amar Aalok

अमर आलोक | Amar Aalok के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : अमर आलोक है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Upadhyaya Amar Muni | Upadhyaya Amar Muni की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3.8 MB है | पुस्तक में कुल 172 पृष्ठ हैं |नीचे अमर आलोक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अमर आलोक पुस्तक की श्रेणियां हैं : hindu, Knowledge

Name of the Book is : Amar Aalok | This Book is written by Upadhyaya Amar Muni | To Read and Download More Books written by Upadhyaya Amar Muni in Hindi, Please Click : | The size of this book is 3.8 MB | This Book has 172 Pages | The Download link of the book "Amar Aalok" is given above, you can downlaod Amar Aalok from the above link for free | Amar Aalok is posted under following categories hindu, Knowledge |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 3.8 MB
कुल पृष्ठ : 172

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आज यह सर्वोदय शब्द काफी प्रचिलित हो गया है। किन्तु यह शब्द बहुत पुराना है। भारतीय चिन्तन की प्रधानधारा सर्वोदय मूनक ही रही है । सब को उदय ही इम चिन्तन की सब से वडी विशेषता है । सब के उदय का अर्थ यही है कि कोई भी सुख किमी एक व्यक्ति या वर्ग के लिए न होकर सब के लिए हो । सुख दुख सामाजिक है। इसलिए समाज का प्रत्येक व्यक्ति हर किमी व्यक्ति का मुख और दु ख बाँट ले, यह आवश्यक है। जब नक ममाज में एक भी मानव अभावग्रस्त है, भूखा है, दु नी है, तब तक चाहे समाज के किसी एक व्यक्ति के पास या किमी एक वर्ग के पास कितना भी बन हो, वैभव हो. सपन्नता हो वह मर्वो दय नहीं हुआ । जब तक सर्वोदय नहीं होगा तब तक भारतीय विचारों का ठीक-ठीक मूल्यांकन और प्रदिर भी नहीं होगा। कुछ लोग ऐमा मानने है कि सबका सुख एक माय मभव नही है । पर हम मान्यता को हम भारतीय मान्यता नहीं कह सकते । भारतीय मान्यता तो दृढतापूर्वक यही कहती है कि व्यक्ति, वर्ग यो जाति के मुख में दुमरे व्यक्ति, वर्ग या जाति वा मुग्ध भी निहित रहना चाहिए। यदि एक वर्ग के कारण दूसरे वर्ग का शोषण होता हो,

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