आल्ह - खण्ड | Aalha Khand

आल्ह – खण्ड | Aalha Khand

आल्ह – खण्ड | Aalha Khand के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आल्ह - खण्ड है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Lalita Prasad Mishr | Lalita Prasad Mishr की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 37.81 MB है | पुस्तक में कुल 648 पृष्ठ हैं |नीचे आल्ह - खण्ड का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आल्ह - खण्ड पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, islam

Name of the Book is : Aalha Khand | This Book is written by Lalita Prasad Mishr | To Read and Download More Books written by Lalita Prasad Mishr in Hindi, Please Click : | The size of this book is 37.81 MB | This Book has 648 Pages | The Download link of the book "Aalha Khand" is given above, you can downlaod Aalha Khand from the above link for free | Aalha Khand is posted under following categories history, islam |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 37.81 MB
कुल पृष्ठ : 648

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महाराज चन्द्रब्रह्म के मन्त्री तोमरव शी क्षत्रिय, चिन्तामणि थे । इन्होंने एक बार तपस्या करते हुए शिवजी के चरणों में शिर काटकर अर्पण कर दिया था। शिव जी ने प्रसन्न होकर वरदान माँगने की आज्ञा दी । चिन्तामणि - ने नम्रतापूर्वक प्रार्थना की कि हे महाराज, हमारे वंश में महान् शूर-बीर - उत्पन्न होकर चन्देल राज्य ही को दृढ़ करते हुये यश प्राप्त करें । शिवजी यही भाशीर्वाद देकर अन्तर्धान होगये । इन्हीं चिन्तामणि के पुत्र शशिपाल, शशिपाल के कृपा चन्द, कृपाचन्द के मकरन्द, मकरन्द के अक्रूर, अक्रूर के , डर, टोडर के रहिमल, रहिमल के सोरठ और सोरठ के दो पुत्र सल्ल • और बल्ल हुये । सल्ल और बल्ल में परस्पर अपार प्रेम था । वैराग्य उत्पन्न ' होने से दोनों ने वनगमन किया । वहाँ श्री गुरु गोरखनाथजी इन्हें अपना ' शिष्य कर योगविद्या की शिक्षा देने लगे ।

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