ब्रह्मचर्य और आत्मसंयम | Brahmcharya Aur Aatmsaiyam

ब्रह्मचर्य और आत्मसंयम | Brahmcharya Aur Aatmsaiyam

ब्रह्मचर्य और आत्मसंयम | Brahmcharya Aur Aatmsaiyam

ब्रह्मचर्य और आत्मसंयम | Brahmcharya Aur Aatmsaiyam के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : ब्रह्मचर्य और आत्मसंयम है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Jawahar Vidyapeeth | Shri Jawahar Vidyapeeth की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 05.7 MB है | पुस्तक में कुल 370 पृष्ठ हैं |नीचे ब्रह्मचर्य और आत्मसंयम का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ब्रह्मचर्य और आत्मसंयम पुस्तक की श्रेणियां हैं : Uncategorized, dharm, Knowledge

Name of the Book is : Brahmcharya Aur Aatmsaiyam | This Book is written by Shri Jawahar Vidyapeeth | To Read and Download More Books written by Shri Jawahar Vidyapeeth in Hindi, Please Click : | The size of this book is 05.7 MB | This Book has 370 Pages | The Download link of the book "Brahmcharya Aur Aatmsaiyam " is given above, you can downlaod Brahmcharya Aur Aatmsaiyam from the above link for free | Brahmcharya Aur Aatmsaiyam is posted under following categories Uncategorized, dharm, Knowledge |

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पुस्तक का साइज : 05.7 MB
कुल पृष्ठ : 370

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साधन राम नाम किंतु इसी प्रकार के अन्य मन्त्र हैं। द्वादश मन्त्र भी यही फाम पर सफ़ेगा जिसकी जैसी धारणा हो, उसी प्रकार ये मंत्र का जाप अभिष्ट है। जिस मंत्र का जाप हर्म करना हो, उममें पूर्णवयों लीन हो जाना चाहिये। यदि मय-जपि के समय हमारे मन में दूसर प्रकार के भाव आए तो भी जे भक्ति के साथ जाप फरता रहूंगा उसे अत में सफलता प्राप्त होगी। इसमें जरा भी संदेह नहीं है। वह उसके जीवन-साफल्य फी आधिार पनफर समस्त भावी आपत्तियों से उसकी रक्षा करे। ऐसे पवित्र मत्रों का उपयोग किसी को आर्थिक लाभ फ लिये पदापि न फरना चाहिए। इन मन्त्रों की महत्ता अपनी नियति को सुरक्षिव रखने में है।

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